Big achievement: पेटेंट पब्लिकेशन में टीएमयू की ऊंची छलांग
मुरादाबाद (the live ink desk). कहते हैं, किसी भी यूनिवर्सिटी की वैश्विक पहचान रिसर्च और पेटेंट सरीखी उपलब्धियों से ही होती है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी शोध के प्रति बेहद संजीदा है, इसीलिए यूनिवर्सिटी ने इस बार इंडिया में पेटेंट पब्लिकेशन में 7वीं पोजीशन पाई है। सीएसआईआर- काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च की ताजा जारी सूची में यूनिवर्सिटी टॉप टेन में शुमार की गई है।
यूनिवर्सिटी के अब तक 182 भारतीय पेटेंट पब्लिश हो चुके हैं। उल्लेखनीय है, यूनिवर्सिटी के पेटेंट कराने वाले 10 कॉलेजों में 54 पब्लिकेशन के साथ सीसीएसआईटी अव्वल है, जबकि टिमिट 27 पब्लिकेशन के साथ दूसरे तो 21 के साथ फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग तीसरे स्थान पर है। फार्मेसी के 08, मेडिकल, एग्रीकल्चर और डेंटल कॉलेजों के 03-03 पेटेंट शामिल हैं। इनके अलावा एजुकेशन और नर्सिंग कॉलेजों के 01-01 पेटेंट भी शामिल हैं।
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केंद्र सरकार का स्लोगन- जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान है। टीएमयू भी शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित है। नतीजतन अब तक 373 पेटेंट के लिए फाइलिंग हो चुकी है। दुनिया की किसी भी यूनिवर्सिटी में शिक्षाविदों को रिसर्च से जोड़ना अति महत्वपूर्ण माना जाता है। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में भी कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह की अध्यक्षता में रिसर्च एंड इथिक्स कमेटी गठित है। यह कमेटी सर्वप्रथम तय मानकों पर किसी भी इनोवेटिव प्रोजेक्ट के खरा उतरने पर अंततः हरी झंड़ी दे देती है।
यह कमेटी विशेषकर आईपीआर- इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स से जुड़े फाइलिंग/पब्लिकेशन/अवार्डिंग तक के चरणवार सफर में वित्तीय सहयोग के मामलों को लेकर अहम भूमिका निभाती है। प्रो. सिंह ने बताया, यूनिवर्सिटी फैकल्टी को रिसर्च और पेटेंट्स के लिए वित्तीय इंसेंटिव प्रोवाइड करने के संग-संग उम्दा रिसर्च की खातिर उन्हें नई तकनीकी का भी प्रशिक्षण देती है। अति आधुनिक लैब्स भी मुहैया कराते हैं। सामाजिक सरोकारों से जुड़े पेटेंट को प्रायः श्रेष्ठ माना जाता है। उदाहरण के तौर पर तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एनिमेशन विभाग की सीनियर फैकल्टी श्री प्रदीप गुप्ता को इसी साल इंडियन पेटेंट अवार्ड हुआ है। श्री गुप्ता का पेटेंट सामाजिक और पर्यावरण सरोकारों से जुड़ा है। कूडे़-करकट से ईंटों के निर्माण के लिए यह पेटेंट अवार्ड हुआ है। यह पेटेंट ईको-फ्रेंडली भी है। इस पेटेंट में भी यूनिवर्सिटी ने श्री गुप्ता को वित्तीय सहयोग दिया था।