ताज़ा खबरभारत

‘विकसित भारत–जी राम जी अधिनियम, 2025’ राष्ट्रपति कार्यालय से पास

The live ink desk. ग्रामीण भारत में रोजगार और आजीविका को मजबूत आधार देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘विकसित भारत–रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण विकसित भारत)–जी राम जी अधिनियम, 2025’ को मंजूरी प्रदान कर दी है। संसद ने इस विधेयक को हाल ही में शीतकालीन सत्र के दौरान पारित किया था। राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ ही यह कानून अब प्रभाव में आ गया है।

नए अधिनियम के तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाली वैधानिक मजदूरी आधारित रोजगार गारंटी को बढ़ाकर प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 125 दिन कर दिया गया है। इससे पहले यह व्यवस्था 100 दिनों तक सीमित थी। सरकार का मानना है कि अतिरिक्त रोजगार दिवसों से ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ेगी और बेरोजगारी के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस कानून को ग्रामीण रोजगार नीति में एक ऐतिहासिक सुधार बताया है। मंत्रालय के अनुसार, यह अधिनियम ग्रामीण परिवारों के सशक्तिकरण, समावेशी विकास और विभिन्न विकास योजनाओं के बेहतर तालमेल को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसका उद्देश्य यह भी है कि रोजगार और आजीविका से जुड़ी सरकारी पहलें जरूरतमंद लोगों तक प्रभावी ढंग से पहुंच सकें।

सरकार का कहना है कि ‘विकसित भारत–जी राम जी अधिनियम’ केवल रोजगार उपलब्ध कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह टिकाऊ आजीविका, कौशल विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की व्यापक सोच को दर्शाता है। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण, सामुदायिक परिसंपत्तियों के विकास और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

यह नया कानून वर्ष 2005 में लागू किए गए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की जगह लाया गया है। सरकार का दावा है कि बदली हुई जरूरतों और वर्तमान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इसे अधिक व्यापक और प्रभावी स्वरूप दिया गया है।

कुल मिलाकर, ‘विकसित भारत–जी राम जी अधिनियम, 2025’ को ग्रामीण भारत के लिए रोजगार सुरक्षा को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button