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RG Kar Medical College: डा. संदीप घोष, दवा सप्लायर समेत चार गिरफ्तार

The live ink desk. आरजी कर मेडिकल कालेज में ट्रेनी डाक्टर के साथ ही अमानवीय बर्बरता और हत्या के मामले में जांच कर रही सीबीआई ने फिलहाल कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया है।

सीबीआई बीते 16 दिन से लगातार डा. संदीप घोष से पूछताछ कररही थी। संदीप घोष की गिरफ्तारी से यह लगभग साफ है कि जांच एजेंसी को संदीप घोष के खिलाफ कुछ पुख्ता जानकारी हाथ लगी है। डा. संदीप घोष की गिरफ्तार के साथ-साथ तीन अन्य को भी गिरफ्तार किया गया है।

सीबीआई की हिरासत में जाने वाला दूसरा व्यक्ति विप्लव सिंह है। विप्लव सिंह अस्पताल में दवाओं की सप्लाई करता था। जबकि सुमन हाजरा और संदीप घोष के सिक्योरिटी इंचार्ज रहे अफसर अली को भी सीबीआई ने गिरफ्तार किया है।

आरजी कर मेडिकल कालेज (RG Kar Medical College) में बीते नौ अगस्त को ट्रेनी डाक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के मामले की जांच सीबीआई के द्वारा की जारही है।

कलकत्ता हाईकोर्ट के द्वारा इस मामले की जांच सीबीआई कोदेने के आदेश के बाद सीबीआई ने पूर्व प्राचार्य डा. संदीप घोष को तलब किया था, लेकिन वहपेश नहीं हुआ। बाद में उन्हे सड़क से ही उठा लिया गया था।

कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर रेप और हत्या के मामले कीजांच कर रही सीबीआई को अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच भी सौंपी गई है। इन दोनों मामलों में सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने डा. संदीप घोष समेत सात लोगों की पॉलीग्राफ टेस्ट भी करवाया है। इसमें रेप और हत्या का प्राइम सस्पेक्ट संजय भी शामिल है।

बताते चलें कि आरजी कर मेडिकल कालेज (RG Kar Medical College) में ट्रेनी डाक्टर के साथ रेप और हत्या का प्रकरण सामने आने के बाद जब डाक्टरों ने प्रदर्शन शुरू किया तो डा. संदीपघोष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके कुछ घंटे बाद ही संदीप घोष को एक अन्य हास्पिटल में इसी पद पर नियुक्ति दे दी गई।

इस नियुक्ति के बाद भी डाक्टरों का प्रदर्शन शुरू नहीं हुआ और नई तैनाती देने के बाद रोष लगातार बढ़ता गया तो डा. संदीप घोष को छुट्टी पर जाने का आदेश दिया गया। इस दौरान आरजी कर मेडिकल कालेज के उस स्थान पर फिर से बनवा दिया गया, जहां पर रेप और हत्या की घटना को अंजाम दिया गया था।

इसी के बाद जब सीबीआई ने जांच शुरू की तो आरजी कर मेडिकल कालेज और अस्पताल (RG Kar Medical College) में वित्तीय अनियमितता भी सामने आई। वित्तीय अनियमितता की जांच के लिए ममता बनर्जी सरकार ने विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया, लेकिन एक दिन बाद ही हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई।

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