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ज़ियारत को चक इमामबाड़े में उमड़ा अक़ीदतमंदों का हुजूम

प्रयागराज (the live ink desk). माहे मोहर्रम मनाने को जहां देश विदेश और अन्य प्रांतों में रहने वाले जनपदवासी अपने घरों व अज़ाखानों में ग़मे हुसैन मनाने को पहुंच चुके हैं, वहीं कत्ले हुसैन के दिन क़रीब आते ही मजलिस, मातम जुलूस व मेंहदी में अक़ीदतमंदों का रेला उमड़ रहा है। नवीं मोहर्रम पर चक ज़ीरोरोड स्थित इमामबाड़ा ज़ाहिद हुसैन में अशरे की नौवीं मजलिस को मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर ने खिताब किया। उन्होंने मासूम अली असग़र की शहादत का जब मार्मिक अंदाज में ज़िक्र किया तो हर तरफ से आहो बुका की सदाएं गूंजने लगीं।

वहीं हमशक्ले पैगंबर हज़रत अली अकबर के सीने पर बरछी के फल और इमाम हुसैन के वाक़ेयात सुन अक़ीदतमंदों की आँखों से अश्रु धारा बहने लगी। परदे के पीछे बैठी महिलाओं की सिसकियां भी फिज़ा में सोग पैदा कर रही थीं। हर तरफ से सदाएं हुसैन बुलंद होने लगीं। मजलिस से पहले नज़र अब्बास खाँ साहब ने मर्सिया पढ़ा। जालीदार काले कपड़े से ढ़का झूला अली असग़र व ताबूत हज़रत अली अकबर पर गुलाब और चमेली के फूलों से सजा कर ग़मगीन माहौल में जब तबर्रुक़ात लोगों के बीच लाए गए तो बोसा और ज़ियारत को इमामबाड़े में हज़ारों लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।

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अंजुमन हुसैनिया क़दीम के नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा और सदस्यों ने मातम किया। नय्यर आब्दी, अहसन भाई, कर्रार भाई, ज़फर मेंहदी, अरशद नक़वी, सफी नक़वी, माशू अब्बास, फैज़ान आब्दी, गौहर काज़मी, हसन नक़वी, नजीब इलाहाबादी, ताशू अलवी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, आसिफ रिज़वी, अब्बास गुड्डू, अलमास हसन, ज़ामिन हसन, औन ज़ैदी, जौन ज़ैदी, माहे आलम, मुर्तुज़ा बेग, ज़ीशान खान, ज़ुलक़रनैन आब्दी, तय्याबैन आब्दी, मीसम रिज़वी आदि मौजूद रहे।

इस दौरान इमामबाड़ा डिप्यूटी ज़ाहिद हुसैन पर दूध के शरबत और कॉफी की सबील लगाई गई। इमामबाड़ा मुंतजिम कमेटी की ओर से गेट के बाहर एक ओर जहां आने-जाने वालों को दूध का ठंडा शरबत पिलाया जाता रहा वहीं दूसरे स्टाल पर कॉफी की सबील लगी रही। कोतवाली के जीटी रोड पर सबील लगाई गई।

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देर रात निकला अलम व ज़ुलजनाह का जुलूसः मीरगंज स्थित मोहम्मद अली पार्क से नवीं मोहर्रम पर क़दीमी जुलूस देर रात निकाला गया। जाफर इमाम अस्करी की क़यादत में अलम व ज़ुलजनाह का जुलूस लोकनाथ चौराहा, बजाजा रोड कोतवाली चडढ़ा रोड़ से होते हुए रानी मंडी स्थित इमामबाड़ा महमूद आग़ा पर जाकर समाप्त हुआ।  अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा और अंजुमन अब्बासिया के नौहाख्वानो ने जहां रास्ते भर पुरदर्द नौहा पढ़ा वहीं अंजुमन के सदस्यों ने मातम किया। जुलूस में इमाम हुसैन के वफादार घोड़े की शबीह आकर्षक फूलों से सजा कर निकाली गई। वहीं दर्जनों रंग बिरंगे अलम भी रास्ते भर गश्त करते रहे। लोगों ने दुलदुल के घोड़े को दूध, जलेबी और भीगी चने की दाल खिलाकर इस्तेक़बाल किया।

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इमामबाड़ों में जलाई अगरबत्ती और मोमबत्तीः दसवीं की रात भर दरियाबाद, रानीमंडी, बख्शी बाज़ार, करेली सहित मेंहदी व बड़ा ताज़िया व बुड्ढ़ा ताज़िया इमामबाड़ों में अक़ीदतमंदों का आना-जाना लगा रहा।शबे आशूरा की मुनासबत से हर कोई इमामबाड़े में ज़ियारत को पहुंचा। अगरबत्ती व मोमबत्ती जलाकर दुआओं व मुरादों के मांगने का सिलसिला रात भर चला। महिलाओं ने चालीस इमामबाड़ों की ज़ियारत में पूरी गुज़ारी। इमामबाड़ा नाज़िर हुसैन बख्शी बाज़ार से दसवीं मोहर्रम को प्रातः 7:30 बजे तुरबत का जुलूस निकाला जाएगा।  जो दायरा शाह अजमल, रानीमंडी, बच्चाजी धर्मशाला, चडढ़ा रोड,कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए करबला पहुंचेगा।

 

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