पीरिएड्स या फिर मेंस्ट्रूअल साइकल (मासिक, माहवारी, मासिक धर्म) एक बेहद सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। यह, उतना ही सामान्य है, जितना की नाक का बहना। बावजूद इसके आज भी सेक्स की तरह पीरिएड्स पर खुलकर बात नहीं की जाती। नये जमाने में भी इसे टैबू समझा जाता है। जबकि इसके बारे में खुलकर बात करना, इसके बारे में जानकारी रखना बहुत जरूरी है।
पीरिएड्स के दौरान स्वच्छता न रखने पर कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। पीरिएड्स के दौरान साफ-सफाई रखने को लेकर दुनियाभर में 28 मई को Menstrual Hygiene Day (मासिक धर्म स्वच्छता दिवस) मनाया जाता है। केंद्र सरकार भी सबला योजना के नाम से एक योजना का संचालन करती है, इसका उद्देश्य Menstrual Hygiene के प्रति महिलाओं, किशोरवय लड़कियों को जागरुक करना है।
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माहवारी चक्र (menstrual cycle) महीने में एक बार होता है। इसकी सामान्य अवधि 28 से 32 दिन तक की होती है, परंतु 21 से 35 दिन तक भी सामान्य माना जाता है। इस दौरान किसी विशेष इलाज की आवश्यकता नहीं होती। वैसे तो मासिक स्राव (menstruation) का समय तीन से पांच दिन तक का रहता है, परंतु दो से सात दिन तक की अवधि को भी सामान्य की श्रेणी में रखा जाता है।
सामान्य रूप से एक चक्र में 20 एमएल से लेकर 60 एमएल तक का रक्त स्राव होना चाहिए। यदि रक्त स्राव इससे ज्यादा हो तो तत्काल चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। कई महिलाओं में मासिक चक्र (menstruation) के कुछ दिन पहले अथवा कुछ दिन पश्चात सफेद रंग का स्राव होता है। यह भी एक सामान्य प्रक्रिया है।
कई महिलाओं में मासिक (menstruation) के पूर्व अथवा मासिक के दौरान पेट में दर्द, कमर में दर्द, शरीर में अकड़न, थकान, कमजोरी एवं स्वभाव में चिड़चिड़ापन महसूस होता है। यह भी एक सामान्य घटना है। इस दौरान गर्म पानी में कपड़े को भिगोकर दर्द की जगह पर रखने अथवा हल्के हाथों से मालिश करने से भी दर्द में आराम मिलता है।
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इसके अलावा गर्म पानी में जीरा एवं अदरक मिलाकर पीने से भी आराम मिलता है। माहवारी के समय महिलाओं को आयरन युक्त खाद्य पदार्थ अनार, हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़ एवं चना का उपयोग प्रचुर मात्रा में करना चाहिए। इस दौरान महिलाओं को साफ सूती कपड़ा अथवा पैड का उपयोग करना चाहिए। सूती कपड़े को गर्म पानी से धुलकर एवं अच्छे तरीके से सुखाकर ही उपयोग करना चाहिए।
माहवारी के दौरान पैड या कपड़ा दिन में तीन से चार बार बदलना चाहिए। एक ही कपड़े का बार-बार उपयोग नहीं करना चाहिए अन्यथा चर्म रोग और इंफेक्शन की संभावना रहती है। पैड का उपयोग सूती कपड़े से बेहतर माना जाता है।
पैड/कपड़ा बदलने के पहले एवं बाद में हाथों को ठीक से धोना चाहिए। उपयोग किए हुए सेनेटरी पैड अथवा कपड़े को कागज में लपेट कर कूड़ेदान में ही फेंकना चाहिए। जहां-तहां अथवा नाले या शौचालय में इसे नहीं डालना चाहिए। महिलाओं को अंदरूनी सफाई कभी भी साबुन से नहीं करनी चाहिए। सदैव पानी, गर्म पानी अथवा अलग से कुछ दवाएं आती है, उससे सफाई कर सकते हैं। साबुन का उपयोग बाहर की तरफ सफाई के लिए किया जा सकता है।
अंतः वस्त्र सूखे होने चाहिए। गीले कपड़ों से संक्रमण की संभावना रहती है। आवश्यकता पड़ने पर दो-तीन बार अंतः वस्त्र बदले जा सकते हैं। खुजली होने पर चिकित्सक से परामर्श लेकर पाउडर अथवा मलहम लगाना चाहिए। महिलाएं स्वच्छता एवं स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए मासिक के दौरान भी अपने नियमित कार्य कर सकती हैं। इस दौरान किशोरियां भी खेलना, व्यायाम इत्यादि जारी रख सकती हैं। लेखिकाः डॉक्टर सोनी कुशवाहा, एमबीबीएस, एमएस।