डरा रहा गंगा-यमुना का सैलाबः बीहड़ को डुबोने के बाद तेजी से प्रयागराज की तरफ बढ़ रहा चंबल का पानी
बंद किए गए स्लूज गेट, हथिनी कुंड बैराज से छोड़ा गया 25 लाख क्यूसेक पानी
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के आगरा में तबाही मचाने के बाद बाढ़ का पानी तेजी से प्रयागराज की तरफ बढ़ रहा है। आगरा में चंबल नदी खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है। अब यही पानी यमुना नदी के सहारे प्रयागराज पहुंच रहा है। उफनाती गंगा-यमुना में पानी का दबाव काफी बढ़ गया है। यमुना नदी में हथिनी कुंड बैराज से 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। यमुना की सहायक नदियों में चंबल के अलावा केन और बेतवा भी खतरे से काफी ऊपर बह रही हैं।
लगातार पानी का दबाव बढ़ने से प्रयागराज में भी स्थिति बिगड़ती जा रही है। इसे देखते हुए मोरी स्लूज गेट को बंद कर दिया गया है। प्रयागराज में खतरे का निशान 84.734 मीटर पर है। यहां वर्ष 1978 में भयानक बाढ़ आई थी। उस समय फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 87.980 मीटर, छतनाग में गंगा का जलस्तर 88.030 मीटर रिकार्ड किया गया था। जबकि 1978 की बाढ़ में नैनी में यमुना का जलस्तर 87.990 मीटर पर पहुंच गया था।
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25 अगस्त को देर शाम आठ बजे फाफामऊ (गंगा) का जलस्तर 84.13 मीटर, छतनाग में 83.52 मीटर और नैनी में (यमुना) का जलस्तर 84.10 मीटर रिकार्ड किया गया। फाफामऊ में प्रत्येक दो घंटे में छह सेमी, छतनाग में चार सेमी और नैनी में दस सेमी की दर से पानी बढ़ रहा था। जबकि गुरुवार रात 10 बजे तक यमुना खतरे के निशान से महज 57 सेमी. नीचे बह रही थी। रात दस बजे यमुना का जलस्तर 84.16 मीटर पर पहुंच गया था। इसी तरह फाफामऊ फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 84.20 मीटर और छतनाग में 83.56 मीटर रिकार्ड किया गया।
जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री ने बताया कि यमुना में 25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बाढ़ के दौरान उत्पन्न होने वाली विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। 98 बाढ़ राहत चौकियों के साथ-साथ 15 से अधिक राहत शिविर चलाए जा रहे हैं। जहां पर शरण लेने वालों को दवाएं, भोजन आदि दिया जा रहा है।
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सिंचाई बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता बृजेश सिंह ने बताया कि ऊपर से लगातार पानी आ रहा है। इससे यमुना की सहायक नदिया केन, बेतवा और चंबल उफान पर हैं। प्रयागराज में भी गंगा-यमुना किसी भी समय खतरे के निशान को पार कर सकती हैं। इसके मद्देनजर बांध के स्लूज गेट बंद करने के साथ ही निगरानी बढ़ाई गई है।
राहत शिविरों में सैकड़ों लोगों ने ली शरणः गंगा-यमुना में आई बाढ़ का पानी तो बुधवार को ही बस्तियों में घुसने लगा था। बृहस्पतिवार रात तक एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के हजारों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया था। मुश्किल यह कि अभी गंगा और यमुना नदी में अभी और पानी तेजी से प्रयागराज की तरफ बढ़ रहा है। यह स्थिति आने वाले दो से तीन दिनों तक बनी रह सकती है। ऐसे में हालात और बिगड़ सकते हैं। छोटा बघाड़ा, नेवादा के पवन नगर, बेली कछार में दर्जनों मकानों की पहली मंजिल के करीब पानी पहुंच गया है। चारों तरफ से पानी ही पानी दिख रहा है। सड़कें में भी जलमग्न हो गईं हैं। ऐसे में बहुतसे परिवारों ने पहली मंजिल पर शरणल ले रखी है। जबकि बहुत से परिवारों ने दूसरा ठौर तलाश लिया है। गुरुवार देर शाम तक 1500 से अधिक लोग राहत शिविरों में पहुंच गए थे।
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पीएसी के साथ एनडीआरएफ ने संभाला मोर्चाः बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ-साथ जिला प्रशासन ने हर स्तर पर सतर्कता बढ़ा दी है। निगरानी केलिए अलग-अलग टीमें लगाई गई हैं। इसके अलावा एसडीआरएफ के साथ-साथ एनडीआएफ की एक-एक टीम लगाई गई है। पीएसी की दो कंपनियों को तैनात किया गया है। राहत शिविरों की संख्या बीस कर दी गई है। इसमें एनी बेसेंट, महबूब अली इंटर कालेज, ऋषिकुल, स्वामी विवेकानंद, कैंटोनमेंट मैरिज हाल में भारी संख्या में लोगों ने शरणले रखी है। इसके अलावा सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग, वाईएमसीए में बनाए गए राहत शिविर में लोग पहुंच रहे हैं। मेडिकल टीम को 24 घंटे के एलर्ट मोड पर रखा गया है। बदरा-सोनौटी में पीएसी लगाई गई है। लोगों को बाहर निकालने के लिए 45 नावें और स्टीमर का इंतजाम किया गया है।