धरती के सबसे नायाब और बड़ी बिल्ली की प्रजाति के सबसे तेज दौड़ने वाले चीतों से अब कूनो नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश) भी गुलजार होने वाला है। एक दिन बाद चीतों के लिए डिजाइन किया गया विशेष भारतीय कार्गो प्लेन नमीबिया से उड़कर जयपुर में लैंड करेगा। नमीबिया से लाए जा रहे अफ्रीकी चीतों को 17 सितंबर को कूनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान लाया जाएगा। अपने जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे।
चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जीव है। इसका वैज्ञानिक नाम एसिनोनिक्स जुबाट्स है। यह महज तीन सेकेंड में 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ सकता है। एक स्पोर्ट्स कार को इतनी रफ्तार पर जाने के लिए 5-6 सेकेंड का वक्त लगता है। हालांकि इतनी तेज रफ्तार भरने वाला चीता इस रफ्तार पर महज 460 मीटर ही रह सकता है। इसकी लंबाई 7.5 फीट तक हो सकती है। एक बार में यह 21 फीट लंबी छलांग लगा सकता है। इसका वजन 75 से 125 किलोग्राम तक होता है। आम तौर पर चीता उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में पाया जाता है। एशियाई देशों में इसकी मौजूदगी सिर्फ ईरान में है।
भारत में आखिरी बार 1948 में चीता वर्तमान के छत्तीसगढ़ के कोरिया में देखा गया था। 1948 में सरगुजा के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने तीन चीतों (एक बड़े और दो छोटे) का शिकार किया था। ऐसा माना जाता है कि यह भारत के आखिरी चीते थे। भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था। तकरीबन 70 बरस बाद भारत में फिर से चीतों की आवाज सुनाई पड़ेगी। इतिहास की बात करें तो भोपाल और गांधीनगर में नवपाषाण युग की गुफाओं में बने चित्रों में चीते की आकृतियां देखने को मिलते हैं।
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इसी साल जनवरी में केंद्र सरकार ने भारत में चीता युग की वापसी का प्लान तैयार किया है। इस प्लान के मुताबिक अगले पांच साल में 50 चीतों को भारत लाया जाएगा। 17 सितंबर 2022 को यहां लाए जाने वाले पहले आठ चीते मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में रहेंगे।
मध्य प्रदेश का कूनो-पालपुर नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 748 वर्ग किमी है। जबकि यहां का पूरा जंगली इलाका 6,800 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह जगह चीतों के रहने के लिए सबसे ज्यादा मुफीद है। यहां (कूनो नेशनल पार्क) कम से कम 21 चीते रह सकते हैं। इन चीतों को शिकार करने के लिए चीतल जैसे जानवर यहां आसानी से सुलभ हैं। (रिपोर्टः आलोक गुप्ता)