वाराणसी. यजुर्वेद और पूजा पद्धति के प्रकांड विद्युत लक्ष्मीकांत दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया। पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित ने ही 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। वह 90 वर्ष के थे। शनिवार सुबह 6.45 बजे बनारस में उन्होंने अंतिम सांस ली। पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर पूरे विधि-विधान से किया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ समेत तमाम लोगों ने आचार्य के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित के निधन पर समूचे वाराणसी में शोक की लहर रही। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा –“काशी के विद्वान व श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुजारी के निधन से गहरा दुख हुआ है। आचार्य जी संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति में दिए गए योगदान के लिए हमेशा याद किए जाएंगे”।
गौरतलब है कि पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित काशी के सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे। इस महाविद्यालय की स्थापना काशी नरेश की मदद से की गई थी। पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित की गिनती उन गिने-चुने लोगों में की जाती थी, जो वेदों के अच्छे जानकार हैं।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवानेवाले लक्ष्मीकांत दीक्षित यजुर्वेद के अच्छे ज्ञाता थे। सनातन धर्म की सभी प्रकार की पूजा पद्धतियों के वह विशेषज्ञ थे।