दो सदस्यीय विशेष जांच समिति ने शासन को सौंपी रिपोर्ट, आयोजक मंडल को ठहराया भगदड़ का जिम्मेदार
लखनऊ. दो जुलाई को उत्तर प्रदेश के हाथरस जनपद में हुई भगदड़ में एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी है। यह हादसा तथाकथित भोले बाबा के सत्संग के खत्म होने के उपरांत उस समय हुई, जब बाबा वापसी कर रहे थे और बाबा के चरण रज (मिट्टी) को लेने केलिए श्रद्धालुओं में भगदड़ हो गई थी।
इस हादसे के बाद प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच टीम (SIT) ने 125 लोगों के बयान दर्ज किए। SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सत्संग का आयोजन कराने वाली समिति ही इस दर्दनाक हादसे केलिए जिम्मेदार है। लगभग 300 पेज वाली इस रिपोर्ट में SIT हादसे में घायल हुए लोगों व मृतकों के परिजनों समेत कुल 125 लोगों का बयान शामिल किया है।
SIT ने जिलाधिकारी हाथरस आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल, एसडीएम और क्षेत्राधिकारी सिकंदराराऊ के अलावा सत्संग में लगाए गए पुलिस कर्मियों का भी बयान दर्ज किया है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कार्यक्रम के आयोजक को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया है, साथ ही प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई है। एसआईटी द्वारा कुल नौ बिंदुओं में अपनी रिपोर्ट प्रेषित की गई है।
भगदड़ की गहन जांच की आवश्यकता
इस हादसे के तत्काल बाद योगी सरकार ने एडीजी जोन आगराऔर कमिश्नर अलीगढ़ को जांच सौंपी थी। इस एसआईटी ने दो, तीन के बाद पांच जुलाई को भी घटनास्थल का दौरा किया। जांच समिति ने अब तक हुई जांच में इस हादसे के पीछे किसी बड़ी साजिश से भी इंकार नहीं किया है और गहन जांच की जरूरत बताई है। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, कार्यक्रम आयोजक के साथ-साथ तहसील स्तरीय पुलिस व प्रशासन भी दोषी है।
एसडीएम, क्षेत्राधिकारी ने बरती लापरवाही
एसडीएम, सीओ, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज नेअपने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। एसडीएम के द्वारा बिना निरीक्षण के आयोजन की अनुमति प्रदान की थी और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इसकी सूचना नहीं दी थी। तहसील स्तरीय अधिकारियों के द्वारा कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया गया। एसआईटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद एसडीएम, सीओ सिंदराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा, चौकी इंचार्ज पौरा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
तथ्य छिपाकर आयोजकों ने ली परमीशन
रिपोर्ट के मुताबिक आयोजकों ने तथ्यों को छिपाकर कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति ली थी। अनुमति के लिए लागू शर्तों का पालन नहीं किया गया। आयोजकों ने अप्रत्याशित भीड़ को आमंत्रित कर लिया, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई और न ही शासन की शर्तों का पालन किया गया। आयोजन समिति के द्वारा जिन लोगों को बिना पुलिस वेरीफिकेशन के जोड़ा गया, उनसे अव्यवस्था फैली।
भगदड़ के बाद भाग निकले आयोजक
इसके अलावा आयोजक मंडल द्वारा पुलिस से दुर्व्यवहार भी किया गया। स्थानीय पुलिस को कार्यक्रम स्थल पर निरीक्षण से रोका गया। सत्संगकर्ता और भीड़ को आपस में मिलने की छूट दी गई, मौके पर किसी भी प्रकार की बैरीकेडिंग नहीं की गई थी और इस घटना के होने के बाद आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग निकले। बताते चलें कि एसआईटी के साथ-साथ हाथरस भगदड़ की जांच न्यायिक आयोग भी कर रहा है।
80 हजार के लिए मांगी गई थी अनुमति
बताते चलें कि हाथरस भगदड़ के मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को बीते शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। आरोपी ने कोर्ट में कहा था कि उसने 80,000 लोगों की भीड़ के लिए एसडीएम से अनुमति मांगी थी। घटना के बाद से ही मधुकर फरार चल रहा था। इसके बाद उसके ऊपर इनाम घोषित कर दिया गया था। इसके बाद पांच जुलाई को उसे राष्ट्रीय राजधानी में गिरफ्तार किया गया था। इसकेबाद रामप्रकाश शाक्य और संजू यादव को भी गिरफ्तार किया गया था।