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मंडी शुल्क में छूट देने से बढ़ा राजस्व, 2023-24 में आए 1862 करोड़ रुपये

राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद की 170वीं बैठक योगी आदित्यनाथ ने कहा- किसान हित में इस्तेमाल किया जाए यह राजस्व

लखनऊ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के संचालक मंडल की 170वीं बैठक की। सीएम ने कहा कि  मंडी परिषद द्वारा किसानों हितों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मंडी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व संग्रह में योगदान अच्छा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1553 करोड़ रुपये की आय हुई थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में लगभग 1862 करोड़ रुपये की आय हुई। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 400 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहीत हो चुका है।

सीएम ने कहा, मंडी शुल्क न्यूनतम होने के बाद भी मंडियों से मिल रहे राजस्व किसानों के हित में ही व्यय किया जाए। मंडी किसानों के लिए हैं। दूरदराज से अपनी फसल लेकर यहां आता है। ऐसे में यहां उनकी सुविधा और सुरक्षा के सभी प्रबंध होने चाहिए। साफ-सफाई, जल निकासी की व्यवस्था अच्छी हो। प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। जलभराव की स्थिति न हो। शौचालय-पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था हो। किसानों के लिए विश्राम कक्ष और सस्ते दर वाली कैंटीन की व्यवस्था भी कराई जाए।

मंडी में निर्धारित दायरों में ही लगाई जाए दुकान

मंडी परिसर में कहीं भी अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। जिस दुकान का जितना क्षेत्र है, उसका फैलाव उस सीमा के अंदर ही होना चाहिए। इस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू कराएं। नवस्थापित प्रसंस्करण इकाई को मंडी शुल्क से छूट देने की व्यवस्था का सरलीकरण किया जाना चाहिए। वर्तमान में इकाई स्थापना की दिनांक से छह माह के भीतर मंडलायुक्त के समक्ष आवेदन करना होता है, जिसे मंडलायुक्त द्वारा रिपोर्ट के लिए जिलाधिकारी को भेजा जाता है।

इस व्यवस्था का सरलीकरण करते हुए इकाई द्वारा आवेदन सीधे जिलाधिकारी के समक्ष ही किया जाए और जिलाधिकारी द्वारा अगले सात दिनों में रिपोर्ट के लिए मंडी समिति को भेजी जाए।

नीलामी के लिए बनाएं ई-आक्शन की व्यवस्था

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बरीपाल और मुरादाबाद की मंडी समिति में खाद्य तेलों पर यूजर चार्ज लिए जाने की व्यवस्था है। व्यापारियों के हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। यदि कोई व्यापारी वर्ष भर में मंडी की दुकान से जितने मूल्य के खाद्य तेलों का व्यापार करे, न्यूनतम उतने ही मूल्य के कृषि उत्पाद, जिन पर मंडी शुल्क या यूजर चार्ज लिया जाता है, का भी व्यापार करे तो उनसे खाद्य तेल पर यूजर चार्ज न लिया जाए। मंडी परिषद एवं समितियों में विभिन्न विभागीय सम्पत्तियों की नीलामी को पारदर्शी बनाने के लिए मैनुअल के स्थान पर ‘ई-ऑक्शन’ व्यवस्था लागू की जाए।

नगरीय निकायों में भी बनाए जाएं हाट-पैठ

जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीण अंचलों के अतिरिक्त कतिपय नगरीय क्षेत्रों में भी हाट-पैठ निर्माण कराए जाने की मांग की जाती रही है। इसका सम्मान करते हुए नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम में स्थानीय आवश्यकता के अनुरूप अच्छे हाट-पैठ बनाए जाएं। नये अधिसूचित नगरीय निकायों को प्राथमिकता दें। हाट-पैठ बनने के बाद संबंधित मंडी समिति द्वारा इसे नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम को हस्तांतरित कर दिया जाए। हाट-पैठ के संचालन, अनुरक्षण, साफ-सफाई और परिसंपत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था का दायित्व नगरीय निकाय का होगा।

मंडियों में कोल्ड स्टोर की व्यवस्था करने के निर्देश

मंडी समिति द्वारा कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या), बांदा एवं कानपुर में छात्रावास तैयार कराया गया है। वर्तमान में कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) एवं बांदा में छात्रावास निर्माणाधीन है। इसी प्रकार, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, कानपुर, बांदा में एक-एक छात्रावास का निर्माण कराया जाए और कुमारगंज (अयोध्या) में निर्माणाधीन छात्रावास की क्षमता 100 से बढ़ाकर 150 की जाए। कृषि फसलों की सुरक्षा के लिए मंडियों में कोल्ड रूम तैयार कराया जाए। इससे किसान अपनी फसल को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकेंगे।

रायबरेली में उद्यान महाविद्यालय पर चर्चा

फसलों को विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्तापूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए चारों राज्य कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालयों में टिशू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मंडी परिषद द्वारा की जाएगी। इसी प्रकार, रायबरेली में एक उद्यान महाविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिए। इस संबंध में संभाववनाओं का अध्ययन कराएं। कहा, उपकार जैसी संस्थाओं को और व्यवस्थित और उपयोगी बनाए जाने की आवश्यकता है। यहां विशेषज्ञों की तैनाती हो। नवाचार को प्रोत्साहन मिले।

शोध-अनुसंधान को दिया जाए बढ़ावा

शोध-अनुसंधान की नई गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाए। विगत सात वर्षों में राज्य मंडी परिषद द्वारा किसान हित में अनेक नवाचार किए गए हैं। कृषि विपणन के लिए मंडियों की उपयोगिता बढ़ी है। राज्य सरकार द्वारा किसान कल्याण की अनेक योजनाएं भी संचालित की जा रही हैं। इन सभी विषयों को समाहित करते हुए मंडी परिषद द्वारा त्रैमासिक न्यूज़लेटर का प्रकाशन कराया जाना चाहिए। यह न्यूज़लेटर डिजिटल भी हो और इसे किसानों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

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