ताज़ा खबरभारत

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर का चयन रद्द, भविष्य की परीक्षाओं में नहीं मिलेगा मौका

UPSC ने अभिलेखों की जांच के बाद खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया

The live ink desk.  संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ट्रेनी आईएएस पूजा मनोरमा दिलीप खेड़कर का चयन रद्द करदिया है, साथ ही उन्हे भविष्य की परीक्षाओं के लिए भी प्रतिबंधित किया गया है।

यूपीएससी (UPSC) ने 18 जुलाई, 2024 को पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर (Pooja Khedkar) को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। नोटिस में पहचान को गलत तरीके से पेश करने, परीक्षा नियमों में निर्धारित प्रदत्त सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए उन्हें 25 जुलाई, 2024 तक जवाब देना था। हालांकि, उन्होंने चार अगस्त, 2024 तक का अतिरिक्त समय मांगा था, ताकि वह अपने जवाब के लिए आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर सकें।

यूपीएससी (UPSC) ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के अनुरोध पर विचार करते हुए उन्हे 30 जुलाई तक का समय दिया था, ताकि वह जवाब दाखिल कर सकें, साथ ही हिदायत दी गई थी कि यह उनके लिए अंतिम मौका है। दी गई टाइमलाइन के बावजूद पूजा खेड़कर की तरफ से स्पष्टीकरण नहीं दिया गया।

यूपीएससी का कहना है कि जांच के दौरान पूजे खेड़कर के अभिलेखों की जांच की गई, जिसमें उन्हे सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया। इसके उपरांत उनकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी परीक्षाओं से स्थाई रूप से वंचित कर दिया गया है।

पूजा खेड़कर (Pooja Khedkar) के इस मामले को देखते हुए यूपीएससी (UPSC) ने साल 2009 से 2023 तक (15 वर्षों के) सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से चयनितों के उपलब्ध अभिलेखों की जांच की। विस्तृत जांच के बाद पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत प्रदत्त संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है।

माता-पिता के नाम में भी किया बदलाव

पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उसके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी, क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और सशक्त करने की प्रक्रिया में है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा ना आए।

प्रमाणपत्रों की प्रारंभिक जांच करता है UPSC

इसके अलावा ​​झूठे प्रमाणपत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणी) जमा करने की शिकायतों पर यूपीएससी ने स्पष्ट किया है कि वह प्रमाणपत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है। जैसे कि प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है या नहीं। प्रमाण पत्र किस वर्ष से संबंधित है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है या नहीं, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि। आमतौर पर, यदि प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली माना जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button