पूर्वांचलराज्य

‘बाबा हरदेव सिंह ने सिखाई निस्वार्थ जीवन जीने की कला सिखाई’

भदोही (संजय सिंह). जब हम हर पल निरंकार प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पित भाव से अपना जीवन जीते हैं, तब वास्तविक रूप में मानवता के कल्याणार्थ हमारा जीवन समर्पित हो जाता है। प्रेम और भक्ति से युक्त ऐसा ही जीवन बाबा हरदेव सिंह ने जीकर हमें दिखाया। सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज की बातों को दोहराते हुए पीसी यादव ने सतसंगियों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

रजपुरा चौराहा स्थित निरंकारी सत्संग भवन में आयोजित ‘समर्पण दिवस’ के मौके पर उन्होंने बाबा हरदेव सिंह के त्याग का जिक्र करते कहा कि उन्होंने निस्वार्थ भाव से हमें जीवन जीने की कला सिखाई। आगे कहा कि जब परमात्मा से हमें सच्चा प्रेम हो जाता है, तब इस मायावी संसार के लाभ और हानि हम पर प्रभाव नहीं डाल पाते, क्योंकि तब ईश्वर का प्रेम ही सर्वोपरि बन जाता है।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत जब हम स्वयं को परमात्मा से न जोड़कर केवल भौतिक वस्तुओं से जोड़ लेते हैं, तब क्षणभंगुर सुख-सुविधाओं के प्रति ही हमारा ध्यान केंद्रित रहता है। जिस कारण हम इसके मोह में फंसकर वास्तविक आनंद की अनुभूति से वंचित रह जाते है। वास्तविकता तो यही है कि सच्चा आनंद केवल प्रभु-परमात्मा से जुड़कर उनकी निरंतर स्तुति करने में है, जो संतों के जीवन से निरंतर प्रेरणा लेकर प्राप्त की जा सकती है।

यही भक्त के जीवन का मूल सार भी है। परिवार, समाज एवं संसार में स्वयं प्यार बनकर प्रेम रूपी पुलों का निर्माण करें, क्योंकि समर्पण एवं प्रेम यह दो अनमोल शब्द ही संपूर्ण प्रेमा-भक्ति का आधार हैं, जिसमें सर्वत्र के कल्याण की सुंदर भावना निहित है।

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