प्रयागराज (आलोक गुप्ता). मंगलवार की सुबह तक ठीकठाक रहा मौसम सूर्यदेव के चढ़ने के साथ ही ऐसा बदला की सांझ ढलने तक सूर्य़देव के दर्शन नहीं हुए। दिनभर बरसात होती रही। प्रयागराज मंडल के कौशांबी, प्रतापगढ़,फतेहपुर समेत अन्य आसपास के जनपदों (बुंदेलखंड और एमपी की सीमा से सटे हुए) में दिनभर इसी तरह के हालात देखने को मिले।
प्रयागराज में बरसात का सिलसिला सोमवार को आधी रात से ही शुरू हो गया था। सुबह स्थिति सामान्य होने को थी, लेकिन पूर्वाह्न आसमान में बादलों ने ऐसा कब्जा जमाया कि सांझ कब हो गई, पता भी नहीं चला। गंगापार और यमुनापार में रुकरुककर दिनभर बरसात होती रही। इसका असर आम जनजीवन पर दिखा।
बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा। पूजा पंडालों में स्थापित विघ्नहर्ता गणेश की मूर्ति विसर्जन भी भीगते हुए करना पड़ा। मौसम के जानकारों की मानें तो यह उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी से उठा चक्रवाती तूफान यागी का असर है। इस बरसात से लोगों को गर्मी से भले ही राहत मिली हो, पर गंगा और यमुना के तटीय गांवों की मुसीबत बढ़ गई है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए बारिश बनी मुसीबत
बीते दो दिन से गंगा और यमुना के जलस्तर में तेजी से इजाफा हुआ है। हालांकि, सोमवार शाम से जलस्तर के नीचे जाने के संकेत मिलने लगे था। लोग राहत की उम्मीद कर रहे थे, पर मंगलवार को दिनभर हुई बरसात ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
गंगापार और यमुनापार के कई गांव इस समय टापू बने हुए हैं। शहर के तटीय मोहल्लों केसाथ-साथ कछारी गांवों में बाढ़ का पानी घुसा हुआ है। फिलहाल, मौसम विभाग ने सूबे के दक्षिणी इलाकों सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, चित्रकूट, प्रयागराज, झांसी, महोबा समेत 17 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान हवाएं भी चलेंगी। इसके अलावा 30 जनपदों में वज्रपात की संभावना व्यक्त की गई है।
घुटनेभर पानी में आवागमन करते रहे लोग
यमुनापार के नैनी गांव-छिवकी स्टेशन रोड आज हुई बरसात में पूरी तरह से जलमग्न हो गई है। जलनिकासी का इंतजाम नहीं होने के कारण बारिश का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर गया। लोगबाग दिनभर घुटने तक पानी में आवागमन करते नजर आए। गौरतलब है कि छिवकी स्टेशन के विस्तार और सौंदर्यीकरण के साथ स्टेशन से लेकर बैजनाथ कंपनी तक चौड़ी और पक्की सड़क का निर्माण कराया गया था, पर जल निकासी के लिए नाले का निर्माण नहीं किया गया। जिसकी वजह से बारिश के सीजन में यह सड़क जलभराव से बदहाल हो गई। कमोवेश यही स्थिति कई अन्य क्षेत्रों की भी है।
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