क्या यही है ‘योगीराज’ की जनसुनवाई और त्वरित समाधान का दृश्य!
बारा तहसील में धरने पर बैठा किसान, तहसील प्रशासन पर भूमि संबंधित मूल पत्रावली गायब करने का आरोप
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). योगी राज में समस्याओं, शिकायतों के निस्तारण के चलाए जा रही जनसुनवाई और उसके त्वरित समाधान की हकीकत देखनी हो तो बारा तहसील में जाकर देखी जा सकती है, जहां एक किसान अपनी एक शिकायत को लेकर पिछले 11 महीने से दर-दर की ठोकरें खा रहा है। समस्या का समाधान नहीं होने पर उसने आमरण अनशन शुरू कर दिया। किसान का आरोप है कि बारा तहसील मुख्यालय से उसकी भूमि संबंधित मूल पत्रावली गायब कर दी गई और उसके विपक्षी उसकी भूमि का सौदा करने लगे हैं।
किसान की इस शिकायत पर बारा तहसील प्रशासन के द्वारा अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। बारा तहसील के ओसा गांव के रहने वाले किसान अंकुश कुमार पुत्र अशोक कुमार शुक्ल पिछले सोमवार से बारा तहसील प्रांगण में आमरण अनशन पर हैं। उनकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।
अनशन पर बैठे अंकुश का आरोप है कि वह पिछले 11 माह से तहसील का चक्कर लगा रहा है। इसी कारण उसने अपने पिता को भी खो दिया। आरोपित है कि नायब तहसीलदार बारा के कार्यालय से उसके मामले में 6/2/22 को पारित अंतिम आदेश की मूल प्रति को गायब कर दिया गया है।
इस मामले की पैरवी कर रहे उसके पिता की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई है। पत्रावली में अंतिम आदेश दर्ज न होने से विपक्षीगण उक्त भूमि को बेचने लगे हैं और अब वह आमरण अनशन के लिए मजबूर हो गया है। किसान अंकुश ने बताया कि वह पिछले 11 माह से तहसील के चक्कर काट रहा है। उसने एसडीएम बारा को आमरण अनशन की जानकारी छह अप्रैल को दी थी। इस संबंध में एसडीएम बारा और तहसीलदार बारा से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया।