अवध

कैंब्रिज हाईस्कूल में पूरे उत्साह के साथ मना आजादी का जश्न

प्रबंधक संतोष त्रिपाठी ने किया ध्वजारोहण

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). कैंब्रिज हाईस्कूल एंड कॉलेज शंकरगढ़ में आजादी का जश्न पूरे जोश के साथ मनाया गया। ध्वजारोहण के साथ आजादी के अमृत महोत्सव पर देशभक्ति से ओतप्रोत रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।  विद्यालय के प्रबंधक संतोष त्रिपाठी ने ध्वजारोहण किया।

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देते हुए संतोष त्रिपाठी ने देश की आजादी में शहीद हुए स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देकर के उनके त्याग को याद किया और कहा कि हमारा पूरा मानव समाज जब तक नैतिक रूप से राष्ट्र को संचालन करने के लिए उत्तरदाई नहीं होगा, तब तक सही ढंग से राष्ट्र का निर्माण होना संभव नहीं है।

इस अवसर पर विद्यालय के अध्यक्ष रामचंद्र त्रिपाठी, प्रशासनिक अधिकारी बालेंद्र पांडेय, सामाजिक सेवक सोमनाथ वर्मा, रोहित केसरवानी, अमित चतुर्वेदी, अंकित, अध्यापक मणिशंकर दुबे, सौरभ प्रकाश, धर्मराज कुशवाहा, मनोज तिवारी, पंकज मिश्र, पंकज श्रीवास्तव, दीपक केसरवानी, सुधीर नारंग, राजेश कुमार, अनुज पांडेय, रीना गोस्वामी, रेखा सिंह, रितु सुसारी, स्मिता, मधु  केसरवानी, मीरा श्रीवास्तव, प्रीति सेन, वंदना शुक्ला, ऊषा सिंह मौजूद रहीं।

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अपने बारे में नहीं, देश के बारे में सोचेः एसबी सिंह

प्रयागराज. आजादी का पावन पर्व एसबीएस एकेडमी में धूमधाम से मनाया गया। ध्वजारोहण के पश्चात बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। इसके पूर्व एसबीएस एकेडमी के चेयरमैन एसबी सिंह ने लोगों से आह्वान किया कि वह अपने बारे में न सोचकर देश के बारे में सोचें तब हमारे देश का नाम होगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व यदि हमारे अमर शहीदों ने केवल अपने बारे में सोचा होता तो आज हम आजाद फिजा में सांस नहीं ले रहे होते। आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम होते। उन्होंने कहा कि पूर्व के समय में हमारे देश की शिक्षण व्यवस्था इतनी सुदृढ़ थी कि संपूर्ण विश्व हमारे यहां शिक्षा ग्रहण करने के लिए बेताब रहता था।

अंग्रेजों ने इस व्यवस्था को नष्ट करने की नीयत से इंडियन एजुकेशन एक्ट लागू कर हमारी शिक्षा प्रणाली पर कुठाराघात किया। उन्होंने कर्नल कूट की कटी हुई नाक का उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे देश के सर्जन ऐसे थे कि कर्नल कूट की कटी हुई नाक ऐसे जोड़ दी थी, जिसे ब्रिटिश पार्लियामेंट में कोई भी नहीं बता पाया था कि कर्नल कूट की नाक कभी कटी भी थी।

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