करबला की जंग का प्रसारण देखने को लगा अकीदतमंदों का जमावड़ा
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). ईरान से आए कुमैल आब्दी के द्वारा भारत के विभिन्न शहरों में करबला के जंग के मंज़र का वीआर डिवाइस द्वारा प्रसारण किया जा रहा है। इसी कड़ी में दरियाबाद स्थित दरगाह हज़रत अब्बास में दो दिन व अंतिम दिन करेली के रौज़ा ए इमाम रज़ा में हज़ारों अक़ीदतमंदों ने यज़ीदी लश्कर से खानदाने रिसालत की जंग, नहरें फोरात का मंज़र, हज़रत अब्बास की जंग व मश्कीज़े में पानी भरते और फिर प्यास के बावजूद भतीजी सकीना की प्यास के जीवंत मंजर लोगों ने देखा।
करबला की जंग के प्रसारण वाले स्थल पर महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग स्थान निर्धारित किए गए थे। प्रसारण को देखने के लिए के लिए तमाम लोगों ने प्री बुकिंग करा रखी थी। वहीं वालंटियर के द्वारा मौके पर भी पंजीकरण किया गया। प्रसारण के दौरान कई महिलाओं व पुरुषों को ब्लड प्रेशर बढ़ने व बेहोशी जैसे हालात से निपटने के लिए नाज़ हास्पिटल के डाक्टरों की टीम भी मुस्तैद रही।
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डा. नाज़ फात्मा, डा. जमशेद अली, पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट के मैनेजर सैय्यद मोहम्मद अस्करी, अर्सलान खान, मोहम्मद परवेज़, फहमीना, शमा, ऐश्वर्या आदि ने सहयोग किया। कार्यक्रम के कुशल संचालन व आयोजन में आबिद, आफताब रिज़वी, हुसैन अस्करी, रिज़वान, मोहम्मद मेंहदी, हसन आमिर, आरिज़ अब्बास, अब्बास जाफरी, ज़ैग़म अब्बास, इज़हार हुसैन, मंज़ूर हुसैन, वासिफ रिज़वी, महमूद अब्बास ने भी सहयोग प्रदान किया।
मजलिस में निकाला गया ग़ाज़ी अब्बास का अलमः हज़रत इमाम हुसैन के 72 के छोटे से लश्कर के अलमदार ग़ाज़ी अब्बास और हुसैन ए मज़लूम की सात साल की बेटी सकीना के प्यास की शिद्दत ग़ाज़ी अब्बास के नहरें फोरात पर पानी लेने जाने और लाखों के यज़ीदी लश्कर का घात लगाकर हज़रत अब्बास को शहीद कर देने और पानी के खेमा ए हुसैनी तक न पहुंचने का वाकया सुनकर अक़ीदतमंदों की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी। मौलाना सैय्यद जवादुल हैदर रिज़वी साहब क़िब्ला ने मजलिस में वक़ेयाते करबला दर्दअंगेज़ मंज़र सुनाया तो लोग गमजदा हो गए। मजलिस से पहले रेयाज़ मिर्ज़ा व शुजा मिर्ज़ा ने मर्सिया पढ़ा। अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया बख्शी बाज़ार के नौहाख्वानों ने पुरदर्द नौहा पढ़ा।