काव्य संग्रह अलगौझी का विमोचनः ‘खेत-खलिहान और वन- उपवन के कवि हैं मोहनलाल’
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). अवधी के प्रसिद्ध जनकवि मोहनलाल के काव्य संग्रह (poetry collection) अलगौझी (Algauzhi) का विमोचन मंगलवार को किया गया। स्वराज विद्यापीठ (महिला हास्टल के सामने) में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में काव्य संग्रह पर चर्चा भी की गई। भारतीय सांस्कृतिक सहयोग और मैत्री परिषद द्वारा आयोजित चर्चा में कवियों और बुद्धिजीवियों ने कहा कि मोहनलाल यादव अवधी माटी एवं अवधी भावभूमि के प्रतिनिधि कवि हैं।
वक्ताओं ने कहा, परंपरा और प्रकृति उनके व्यक्तित्व के पोर-पोर में समाई है। वे गांव-जेंवार के, खेत-खलिहान के, वन- उपवन के कवि हैं। अवधी जनजीवन और परंपराओं से उनका गहरा लगाव है। उनका यही बोध उनको नास्टैल्जिक नहीं बनने देता है। उनकी कविता में कहीं- कहीं नागार्जुन की छाप दिखाई देती है, विशेषकर व्यंग्य में। कहीं- कहीं हास्य प्रत्यक्ष उजागर होता है, तो कहीं सूक्ष्म है।
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संग्रह की शीर्षक कविता अलगौझी (Algauzhi) अनायास ही प्रेमचंद की कहानी अलगौझा की याद दिलाती है, लेकिन आज के अलगौझा की कहानी प्रेमचंद के समय से बहुत आगे जा चुकी है। प्रेमचंद की अलगौझा में भाइयों-भाइयों में बटवारा होता है, लेकिन वैमनस्य नहीं हुआ है। परंतु मोहनलाल की कविता अलगौझी में बंटवारे के साथ-साथ दोनों भाइयों में इतना वैमनस्य हो चुका है कि कवि उसकी बराबरी भारत और पाकिस्तान से करता है।
ज़ाहिर सी बात है कि वैमनस्य का कुछ बाहरी लोग मज़ा भी लेंगे। इस कविता में कवि का इशारा साफ है कि भाइयों के द्वेष का फ़ायदा दूसरे लोग उठाते हैं। चर्चा को मुख्य रूप से प्रो. हेरंब चतुर्वेदी, वरिष्ठ रचनाकार नीलकांत, अनीता गोपेश, गायत्री गांगुली, अविनाश मिश्र, अजीत बहादुर ने सम्बोधित किया। चर्चा की अध्यक्षता लेखक प्रकाश मिश्र और संचालन आनंद मालवीय ने किया। सभा में प्रो. आरपी सिंह, प्रो. आरपी सिंह, कॉम हरिश्चंद्र पांडेय, प्रकर्ष मालवीय, धर्मेंद्र यादव, एसपी शर्मा, जेपी शर्मा, मुन्नीलाल यादव, रमाकांत मौर्य, राजनारायण सिंह समेत बड़ी संख्या मे लोग उपस्थित थे।
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