ताबूत की ज़ियारत को उमड़ा अक़ीदतमंदों का हुजूम
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). अंजुमन नासिरुल अज़ा के ज़ेरे ऐहतेमाम रानीमंडी के हकीम अग़्ग़न के अज़ाखाने यौमे ग़म में रात भर अठ्ठारह बनी हाशिम के ताबूत की ज़ियारत के साथ नौहा और मातम का सिलसिला जारी रहा। आफताबे निज़ामत जनाब नजीब इलाहाबादी और शायर वसीम अंबर के संयुक्त संचालन में सिलसिलेवार अंजुमनों ने नौहा और मातम की सदाएँ बुलंद करते हुए माहौल को शोकाकुल बना दिया। रज़ा इसमाइल सफवी की सोज़ख्वानी से यौमे ग़म का आग़ाज़ हुआ।
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बिहार के मशहूर आलिमेदीन मौलाना सैय्यद अली अब्बास साहब क़िबला ने मजलिस को खिताब किया और अठारह बनी हाशिम के ताबूत का एक एक कर परिचय देते हुए शहादत का ग़मगीन मंज़र बयान किया। बारिश और बूंदाबांदी के बीच सभी ताबूत, ज़ुलजनाह, अलम व अली असग़र का झूला नौजवान काँधे पर लेकर अज़ाखाने में दाखिल हुए तो हर तरफ से रोने की आवाज़ें गूंजने लगीं। सभी ने ताबूतों की ज़ियारत के साथ बोसा लेते हुए मन्नतें व मुरादें मांगी।
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ऐजाज़ नक़वी व इंतेजार नक़वी की देखरेख में सभी ताबूतों को पंडाल में ले जाकर एकत्रित किया गया, जहां महिलाओं ने ज़ियारत की। अठ्ठारह बनी हाशिम के ताबूत व यौमे ग़म में शहर की मातमी अंजुमन मोहाफिज़े अज़ा, हुसैनिया क़दीम, हुसैनिया रजिस्टर्ड, शब्बीरिया व मज़लूमिया के नौहाख्वानों ने शिरकत करते हुए नौहों और मातम का नज़राना पेश किया। इस मौके पर एजाज़ नक़वी, इंतेजार नक़वी, रज़ा अब्बास, रज़ा अकबर, युनुस रज़ा, सूफी हसन, इरशाद हुसैन, राजन अब्बास, अरशद, आसिफ रिज़वी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, दरियाबाद पार्षद फसाहत हुसैन आदि शामिल रहे।