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हसन की शहादत की पूर्व संध्या पर मोमबत्ती की रोशनी में निकाल ताबूत

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). इमामबाड़ा मिर्ज़ा नक़ी बेग में बशीर हुसैन की सरपरस्ती में चुप ताज़िया की अशरा ए मजालिस के अंतिम दिन हज़रत इमाम हसन अस्करी की शहादत की पूर्व संध्या पर ताबूत निकाला गया। मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर साहब की शहादत हसन अस्करी के ग़मगीन मसाएब के बाद इमामबाड़़े की सभी लाइटों को बुझाकर मोमबत्ती की रोशनी में गुलाब चमेली के फूलों से सजा ताबूत ज़ियारत को अक़ीदतमंदों के दरमियान लाया गया, तो हर शख्स बोसा लेने और ताबूत की ज़ियारत को बेताब नज़र आया।

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अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया के प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया ताबूत को लेकर नौजवान जब इमामबाड़़े में दाखिल हुए तो हर तरफ से मातम और वा वैला की सदाएं बुलंद होने के साथ अंजुमन हैदरिया के नौहाख्वानों हसन रिज़वी व अन्य सदस्यों के क़दीमी नौहे से माहौल अफसुर्दा हो गया। आयोजक असद हुसैन उर्फ बब्बू भाई, समर, हैदर, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, हैदर रज़ा बेग, पार्षद अनीस अहमद, परवेज़ अख्तर अंसारी, मिर्ज़ा काज़िम अली, फैज़याब हैदर, आसिफ रिज़वी, ज़ामिन हसन, शाहिद अब्बास रिज़वी, सूफी हसन आदि शामिल रहे।

कल निकलेगा चुप ताज़िया और आखिरी जुलूसः दो माह और आठ दिनों (68 दिवसीय) अज़ादारी का आज अंतिम दिन है। पांच अक्टूबर, बुधवार को अय्यामे अज़ा का आखिरी जुलूस चुप ताज़िया रानीमंडी चकय्या नीम स्थित इमामबाड़़ा मिर्ज़ा नक़ी बेग से प्रातः नौ बजे निकाला जायगा। बशीर हुसैन की सरपरस्ती में सबसे पहले ज़ैग़म अब्बास की मर्सियाख्वानी से मजलिस का आग़ाज़ होगा। तत्पश्चात ज़ाकिरे अहलेबैत आली जनाब रज़ा अब्बास ज़ैदी शहादत इमाम हसन अस्करी व अय्यामे अज़ा के अंतिम दिन पर सोगवारों की जानिब से रसूले खुदा व फात्मा ज़हरा व वक़्त के इमाम को शहीदाने करबला का पुरसा पेश करेंगे।

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नौहाख्वान हसन रिज़वी की क़यादत में अंजुमन हैदरिया रानीमंडी नौहों और मातम की सदाएं बुलंद करते हुए जुलूस चुप ताज़िया को रानीमंडी, बच्चाजी धर्मशाला, चड्ढा रोड, कोतवाली, नखास कोहना, खुल्दाबाद, हिम्मतगंज होते हुए चकिया करबला पहुंचकर अलम ताबूत, चुप ताज़िया व ज़ुलजनाह पर चढ़ा गए फूलों को सुपुर्देखाक करेगी। वहीं दरियाबाद के ऐतिहासिक बंगले से अय्यामे अज़ा के आखिरी दिन बुधवार को दिन में 11 बजे अख्तर रज़ा खाँ की ओर से अमारी जुलूस की मजलिस होगी। आयोजक तुराब हैदर बाबू भाई के अनुसार अमारी मातमी जुलूस मे नौहों और मातम का आग़ाज़ बाद नमाज़ ज़ोहर लगभग दिन में एक बजे से मातमी दस्ते के द्वारा इमामबाड़़े में नौहों की चार पंक्तियों के पढ़ने के उपरांत एक-एक अंजुमन का सिलसिलेवार निकलना शुरु हो जाएगा। अंजुमन शब्बीरिया, अंजुमन मज़लूमिया, अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया, अंजुमन अब्बासिया, अंजुमन हुसैनियाँ क़दीम व अंजुमन हाशिमया नौहों और मातम की सदा बुलंद करते हुए अपने क़दीमी रास्तों को तय करते हुए प्रशासन द्वारा निर्धारित समय रात्रि के दस बजे तक इमामबाड़ा अरब अली खाँ में दाखिल हो जायगी।

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रौनक़ सफीपुरी की क़यादत में निकला कदीमी जुलूसः दरियाबाद में सफदर साहब मरहूम के अज़ाखाने से छै रबिउल अव्वल पर निकलने वाला ऐतिसाहिक ताबूत का जुलूस रौनक़ सफीपुरी की क़यादत में निकाला गया। फैज़ जाफरी की सोज़ख्वानी से मजलिस का आग़ाज़ हुआ ज़ाकिरे अहलेबैत अशरफ अब्बास खाँ साहब ने मजलिस को खेताब किया। अंजुमन नक़विया, अंजुमन गुंचा ए क़ासिमया व अंजुमन मज़लूमिया ने जुलूस में शिरकत की। जुलूस अपने परंपरागत मार्गों पर गश्त करते हुए दरगाह हज़रत अब्बास पहुंच कर संपन्न हुआ। अलम ताबूत की ज़ियारत को अक़ीदतमंद जुटे रहे तो रास्ते भर ठंडे पानी, शरबत व चाय बिस्किट के स्टाल लगाकर लोगों को तक़सीम किया गया। इस मौक़े पर हसन नक़वी, शफक़त अब्बास पाशा, पार्षद फसाहत हुसैन, समर अब्बास शमसी, रौनक़ सफीपुरी, क़िबला नक़वी, अली आला ज़ैदी, अबशार आब्दी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन, आसिफ रिज़वी, आसिफ रज़ा चायली, आसिफ हैदर, वसमी हुसैन, महमूद अब्बास, बाशू भाई, नजमुल हुसैन, ज़ैग़म अब्बास, लख्ते असग़र, आरज़ू हैदर, ज़हीन हैदर नक़वी, शादाब ज़मन शारु, अस्करी अब्बास, यासिर ज़ैदी, ज़हीर अब्बास, राजन अब्बास, अरशद, इरशाद हुसैन, निराले भाई समेत सैकड़ों अक़ीदतमंद शामिल रहे।

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