बड़ा सवालः कुएं से बरामद जिस शव की शिनाख्त हुई आखिर वह किसका था!
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). गोपीगंज थाना क्षेत्र के सीखापुर गांव की तथाकथित अपहृत और बाद में मृतक किशोरी को जीवित ग्रेटर नोएडा से बरामद कर लिया गया। शनिवार को इस मामले का खुलासा किए जाने के बाद बरामदगी के बाद पुलिस ने बरामद नाबालिग के ही परिजनों के खिलाफ फर्जी शिकायत करने, साजिश रचने आदि के मामले में धारा 182, 211, 201, 194, 344 का केस दर्ज कर लिया गया है।
इस पूरे मामले में इससे भी ज्यादा खुशी की बात यह है कि पूरे प्रकरण (नाबालिग के अपहरण) में आरोपी बनाए गए विष्णु कहार पुत्र रामचंद्र (निवासी कस्तूरीपुर, सुरियावां) और प्रदीप कुमार पुत्र मेहीलाल सेठ (निवासी चकमांदाता, गोपीगंज) को बेगुनाह होने के बावजूद जेल की सजा भुगतनी पड़ी। जिन्हे अब जल्द राहत मिल जाएगी।
यहां पढ़ें पूरी खबरः माता-पिता ने जिस बेटी को मरा बताया वह ग्रेटर नोएडा में सकुशल मिली |
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा और अहम सवाल यह है कि जब अपहृत और बाद में मृतक किशोरी ग्रेटर नोएडा से सकुशल बरामद हो गई तो कुएं से जिसका शव मिला था, आखिर वह किसका था। गोपीगंज के सीखापुर निवासी श्यामकिशोर पांडेय ने किसके शव की पहचान अपनी नाबालिग बेटी के रूप में की थी। कहीं इस पूरे घटना के पीछे कोई और साजिश तो नहीं। इस पूरे मामले का खुलासा करते हुए कप्तान डा. अनिल कुमार ने यह स्पष्ट किया कि 27 मई, 2022 को ऊंज थाना क्षेत्र के मोहनपुर गांव में कुएं से बरामद शव काफी खराब होगया था। उसकी भी उम्र लापता हुई किशोरी के आसपास ही थी।
संबंधित खबरः देर से मिले न्याय पर छलका दर्दः कपारे पे कलंक लगा, पूरा परिवार बिखर गवा… |
हालांकि, परिजनों (श्याम किशोर पांडेय) की संदिग्ध गतिविधियों ने पुलिस को फिर से जांच के लिए मजबूर किया और यह अच्छा रहा कि पुलिस की आशंका सही साबित हुई और पुलिस अपने मकसद में कामयाब भी हुई। कुएं से बरामद शव के संबंध में एसपी ने कहा कि उसकी शिनाख्त का प्रयास किया जा रहा है। कुएं से किसी शव का मिलना, इतना तो स्पष्ट करता है कि वह शव जिसका भी होगा, उसकी स्वाभाविक मौत नहीं हुई होगी। उसके साथ भी कोई न कोई हादसा हुआ होगा।
फिलहाल, एक सवाल से मुक्त होने के बाद अब भदोही पुलिस के समक्ष दूसरा सवाल उस अज्ञात शव की पहचान का खड़ा हो गया है। देखना यह है कि भदोही पुलिस ने जिस सूझबूझ के साथ गोपीगंज के सीखापुर वाले मामले का खुलासा किया, उसी तरह ऊंज के मोहनपुर के मामले में कहां तक पहुंच पाती है।