मनुष्य को अहंकार की परछाई से भी बचना चाहिएः शिवश्याम महराज
भदोही (संजय मिश्र). प्राचीन शिव मंदिर कुरमैचा में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन कथावाचक शिवश्यामजी महराज ने श्रीकृष्ण की लीला, गोवर्धन पूजा सहित अन्य प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया और कथा का वर्णन करते हुए सभी लीलाओं में छिपे संदेशों का महत्व भी समझाया।
वृंदावन से पधारे शिवश्यामजी महाराज ने कहा, भागवत कथा श्रवण से भक्तों का कल्याण होता है। मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीकृष्ण की लीला प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि जगत कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने असुरों का संहार कर भक्तों की रक्षा की। उसके बाद ग्वाल-बालों के साथ गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे, जहां गोपियां 56 भोग बनाकर उत्सव मना रही थीं, तो कन्हैया ने पूछा। इस पर गोपियों ने बताया कि परंपरा के अनुसार हम लोग भगवान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए एवं ब्रज में वर्षा हो, इसके लिए भोग लगा रहे हैं।
गोपियों की बात सुनने के बाद श्रीकृष्ण भगवान ने कहा कि आज से गिरिराज गोवर्धन को भोग लगाया जाएगा। इससे कुपित होकर इंद्र भगवान ने मूसलाधार बरसात शुरू कर दी, तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अंगुली पर उठाकर उनका अभिमान तोड़ा। महाराजजी ने श्रोताओं से कहा कि धन, वैभव, ऐश्वर्य बढ़ जाने पर मनुष्य को भूलकर भी अहंकार नहीं करना चाहिए। यदि इंसान अहंकार करने लगे तो उसका पतन वहीं से शुरू हो जाता है।
महराज ने कहा कि गौ, गीता, गंगा पूजन करने पर भगवान नारायण की अतिशय कृपा प्राप्त होती है। कथा सुनने वालों में प्रमुख रूप से भाजपा राष्ट्रीय परिषद सदस्य एवं पूर्व सांसद भदोही पंडित गोरखनाथ पांडेय, अरविंद शुक्ल, प्रभाकर उपाध्याय, डा. अभिषेक पांडेय, ओमप्रकाश मिश्र, रमेश यादव, बैकुंठ उपाध्याय, महेश जायसवाल, आशीष सिंह, रामप्यारे तिवारी, राजेंद्र सिंह, घनश्याम तिवारी, पप्पू सिंह आदि उपस्थित रहे।