पूर्वांचल

‘राहत चैंपियंस’ कहे जाएंगे जीवन देने वाले मल्लाह और गोताखोर

सम्मान के साथ-साथ मानदेय के जरिए आर्थिक मदद देने की पहल पर बल

बाढ़ पूर्व तैयारियों को लेकर जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों के साथ की बैठक

भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). नदियों में डूबने वाले की जान बचाने वाले गोताखोरों व मल्लाहों को अब राहत चैंपियंस की उपाधि से सम्मानित किय जाएगा। इसके अलावा उनके आर्थिक उन्नयन के लिए मानदेय का इंतजाम किए जाने का निर्देश जिलाधिकारी गौरांग राठी ने दिया है। जिलाधिकारी गौरांग राठी ने गुरुवार को बाढ़ स्टीयरिंग ग्रुप की तैयारियों की समीक्षा बैठक की। जिलाधिकारी ने अधिशासी अभियंता नहर प्रखंड पुष्पेंद्र सिंह से विगत 10 वर्षों के बाढ़ हिसाब-किताब मांगा और की जाने वाली तैयारियों के अलावा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की भी जानकारी ली।

अधिशासी अधिकारी नहर प्रखंड ने जिलाधिकारी को 1978, 1982, 2021-22 में आई बाढ़, जल-स्तर पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 2022 में डीघ ब्लाक के 26 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए थे। जिनमें 23 गांव में फसल हानि व तीन गांव छिछुआ भुर्रा, इटहरा, अमिलौर में आबादी प्रभावित हुई थी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष तहसील ज्ञानपुर में 12 बाढ़ चौकी व राहत केंद्र, भदोही में छह बाढ़ चौकी व राहत केंद्र, तहसील औराई में चार बाढ़ चौकी व राहत केंद्र की व्यवस्था की गई थी।

जिलाधिकारी ने आपदा विशेषज्ञ आरसी को निर्देशित किया कि पिछले साल में बाढ़ कार्य में लगाए गए लेखपाल, कर्मचारी व ग्राम प्रधान से डाटा संकलित करें। जिला कृषि अधिकारी को निर्देशित किया कि विगत वर्षो में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभियान चलाकर कृषकों को फसलों का बीमा कराने के लिए जागरूक करें।

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जिलाधिकारी गौरांग राठी ने नदियों में डूबते हुए को बचाने वाले मल्लाहों व गोताखोरों को ‘‘राहत चैंपियंस’’ की उपाधि से सम्मानित करते हुए उन्हें मानदेय/लाभांवित किए जाने की पहल पर बल दिया, साथ ही साथ उन्हें रेडक्रास फंड से भी आर्थिक मदद देने की पहल की गई। एक्सईएन जल निगम को जल-जीवन मिशन में कार्य करने वाली संस्थाओं जैसे वैलेस्पन आदि के सीएसआर फंड से भी बाढ़ राहत के कार्यों को क्रियान्वित करने पर जोर दिया गया।

जिलाधिकारी ने अपर मुख्य जिला पंचायत व अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी के द्वारा संयुक्त रूप से नाव संचालकों से समन्वय बनाते हुए रेट निर्धारण, नाव का पंजीकरण, तटों के संचालन को क्रियान्वित करने का निर्देश दिया। जिलाधिकारी ने रामपुर घाट, सेमराध घाट, सीतामढ़ी घाट, बिहरोजपुर घाट, कलिंजरा घाट सहित गंगा नदी के किनारों की सुरक्षा की समीक्षा की।   

डीएम ने कहा कि स्वास्थ्य, पशु पालन विभाग, विद्युत विभाग, सिंचाई विभाग, कृषि विभाग, लोक निर्माण विभाग, जल निगम, जिला पूर्ति विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बाढ़ स्टीयरिंग ग्रुप के सभी सदस्यों को निर्देशित करते हुए कहा कि सभी अधिकारी कार्य योजना बनाकर अपर जिलाधिकारी को उपलब्ध कराएं। एडीएम कुंवर वीरेंद्र मौर्य को राहत सामग्री की समय से टेंडर प्रक्रिया कराने का निर्देश दिया।

सीएमओ से कहा कि सभी बाढ़ क्षेत्र वाले प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दें कि वह बाढ़ क्षेत्रों में बाढ़ के दौरान क्लोरिन की गोली, स्वच्छता, जागरूकता, बाढ़ पूर्व तैयारियों का प्रशिक्षण देते हुए अन्य जानकारियों से अवगत कराएं। सीडीओ यशवंत कुमार सिंह एवं अपर जिलाधिकारी (वित्त) वीरेंद्र मौर्य ने कहा कि गत वर्ष जिन क्षेत्रों में बाढ़ आयी थी उसको देखते हुए सूची बना लें उसी हिसाब से ग्रामवासियों को बाढ़ की पूर्व सूचना देते हुए उन्हें सचेत किया जाए। उन्होंने कहा कि वहां पर राशन, पानी बाढ़ शिविर की व्यवस्था और गांव में आने जाने के रास्ते भी ठीक होने चाहिए जिससे की ग्रामवासियों को किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।

वैकल्पिक व्यवस्था में भवन, जेनरेटर, सोलर लाइट आदि की व्यवस्था पहले सुनिश्चित करें। नाव संचालकों की एक लिस्ट होनी चाहिए जिससे आवश्यकता पड़ने पर नाव की व्यवस्था हो सके। बाढ़ नियंत्रण कक्ष गोताखोर भी चिन्हित कर लिया जाए। जानवरों के वैक्सीनेशन, चारा के साथ जिला स्तर पर एवं तहसील स्तर पर भी कंट्रोल रूम स्थापित किया जाए।

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