पूर्वांचल

गुरु के बताए मार्ग पर चलने से ही कल्याण संभवः निरंकारी संत  ओमप्रकाश

भदोही (संजय सिंह). Nirankari Saint सतगुरू बाबा हरदेव सिंह के प्रति प्रेम तभी सार्थक है, जब हम उनके बताए रास्ते पर चलें। उनके द्वारा दी गई शिक्षा को अपने जीवन में उतारें। प्रेम, समर्पण एवं गुरू के प्रति जो सत्कार में दिखावे की कोई जगह नहीं है। प्रत्यक्ष को प्रमाण वाली बात कि हमारे जीवन में गुरू के प्रति प्रेम समर्पण का भाव सच्चा हो। सभी को नियमित रूप से जीवन के प्रत्येक क्षण में गुरु के द्वारा मिले ज्ञान को समाहित करना चाहिए। यह बातें निरंकारी संत (Nirankari Saint) ओमप्रकाश कही।

संत निरंकारी सत्संग भवन भदोही में उन्होंने श्रद्धालुओं को समझाया कि जिस प्रकार दूध मथने से केवल मलाई एवं मक्खन ही निकलेगा, इसके विपरीत पानी में वह अवस्था बिलकुल भी संभव नहीं। अतः सच्ची भक्ति ईश्वर से जुड़कर ही प्राप्त हो सकती है।

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निरंकारी संत ओमप्रकाश ने बताया कि महाराज का संपूर्ण जीवन प्रेम और अमन का संदेश देने में बीता। प्रेम का वास्तविक अर्थ हमें बाबाजी से ही प्राप्त हुआ। उन्होंने सदैव प्रेम और अपनी दिव्य मुस्कुराहट से न केवल सभी को निहाल किया, बल्कि समूची मानव जाति के प्रति करूणा, दया का भाव रखते हुए उनके जीवन को सार्थक किया।

बाबाजी का यही दृष्टिकोण था कि जीवन में यदि प्रेम का भाव होगा, तो झुकना सरल हो जाएगा। उनका यह मानना था कि ऊंचाइयों को ऐसे प्राप्त किया जाए कि माया का कोई भी दुष्प्रभाव गुरसिख पर न हो। बाबाजी ने पात्रता एवं प्रयास के भाव को न देखते हुए सभी के प्रति केवल समानता और करूणा वाला भाव ही दर्शाया।

‘समर्पण दिवस’ के अवसर पर मिशन के वक्तागणों ने व्याख्यान, गीत, भजन एवम् कवितायों के माध्यम से बाबाजी के प्रेम, करूणा, दया एवं समर्पण जैसे दिव्य गुणों को अपने भावों द्वारा व्यक्त किया। अंत में संयोजक राजेश कुमार ने आए हुए श्रद्धालु, भक्तों का स्वागत और अभिनंदन किया।

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