भोपाल गैस त्रासदी तो याद ही होगी, इसलिए इन बातों का विशेष रूप से रखें ध्यान
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). आपदा कोई भी हो, असहनीय दर्द दे जाती है, जिसका जख्म सालों-साल तक हरा रहता है। इन आपदाओं से बचने के लिए हम, अपनी तरफ से बहुत कुछ कर सकते हैं, जिससे जानमाल के नुकसान की संभावना न्यून (कम) हो जाती है। वैसे, भोपाल गैस त्रासदी तो याद ही होगी। तीन सितंबर, 1984 को देश का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश के भोपाल (Bhopal) में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनियन कार्बाइड (अब डॉव केमिकल्स) के कीटनाशक संयंत्र से मिथाइल आइसोसाइनेट (CH3NCO) का रिस्वा हो गया था।
भोपाल गैस आपदा (Bhopal gas tragedy) को दुनिया के सबसे भीषण रासायनिक/औद्योगिक त्रासदी में गिना जाता है। इस गैस के रिसाव के बाद कुछ ही दिनों के भीतर 3500 लोग मारे गए। इस रासायनिक संकट का खतरा इसके बाद भी टला नहीं था। इसके बाद के वर्षों में एक अनुमान के मुताबिक Bhopal gas tragedy की वजह से 15 हजार से अधिक लोग हताहत हुए। भोपाल (Bhopal) में इसका असर आज भी देखने को मिलता है।
इसके बाद भी देश के अलग-अलग राज्यों में कई घटनाएं हुईं, जिसमें तमाम परिवार बर्बाद हो गए। इस तरह के रासायनिक हादसों से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसे लेकर उत्तर प्रदेश राहत आयुक्त (UP Rahat Ayukt) प्रभु एन सिंह ने विस्तृत गाइडलाइन जारी की है।
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आपदा का बेहतर प्रबंधन और जागरुकता जरूरीः जिलाधिकारी गौरांग राठी ने बताया कि प्रदेश राहत आयुक्त ने रासायनिक आपात स्थिति के संबंध में लोगों की जागरुकता पर जोर दिया है। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि संभव हो तो खतरनाक रसायनों वाले उद्योगों के पास रहने से बचें। आपातकालीन के संपर्क नंबरों को संभलकर रखें। रसायनों में का इस्तेमाल घर पर बिलकुल न करें। अमोनिया और ब्लीच, विषाक्त गैसों का निर्माण कर सकते हैं। रासायनिक उत्पादों को स्टोर करने में सावधानी बरतें। गैर खाद्य उत्पादों को आसानी से पहचानने के लिए उनके मूल कंटेनरों में कसकर बंद रखें। इस्तेमाल न किए जाने वाले रसायनों का निपटान भी काफी संभलकर करें। खतरनाक क्षेत्रों में धूम्रपान न करें। इसके अलावा आसपास के खतरनाक उद्योगों का भी नंबर अपने पास रखें।
जिलाधिकारी ने आगे बताया कि सरकार, स्वैच्छिक संगठनों, औद्योगिक इकाइयों द्वारा आयोजित जागरुकता कार्यक्रमों में सहभागिता करें। सुरक्षित आश्रय और उन तक पहुंचने के आसान व सुरक्षित मार्गों की पहचान करें। अपने परिवार के लिए एक आपदा प्रबंधन योजना बनाएं, साथ ही आपदा किट हमेशा तैयार रखें।
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रासायनिक संकट आए तो अपनाएं यह उपायः इसके अलावा यदि रासायनिक आपदा की स्थिति बन जाए तो कभी भी घबराएं नहीं। बाहर निकलने के लिए सुरक्षित रास्ते की तलाश करें और परिवार के साथ वह एरिया खाली कर दें। घर से निकलते समय चेहरे पर कपड़े का गीला कपड़ा अवश्य लगाएं। यदि घर खाली करने में असमर्थ हैं तो सभी दरवाजे, खिड़कियां कसकर बंद कर दें। इसके बाद आपातकालीन सेवाओं की मदद लें। अफवाह न फैलाएं और न ही सुनी-सुनाई बातों पर भरोसा करें। यदि संकट टल जाए तो खुले में रखे गए भोजन-पानी का सेवन न करें। शरीर व आसपास की साफ-सफाई पहलें करें। इसके बाद पहला काम प्राथमिक उपचार करवाना जरूरी होता है।
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