पूर्वांचलराज्य

बलिदान दिवस पर याद किए गए महान शिक्षाविद डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी

भाजपा के जिला कार्यालय में पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं ने किया नमन

भदोही (संजय सिंह). भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यालय में रविवार को महान शिक्षाविद, जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिवस मनाया गया। जनपद के सभी 16 मंडलों के प्रत्येक बूथों पर भी श्यामप्रसाद मुखर्जी को नमन करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।

जिला कार्यालय में भाजपा जिलाध्यक्ष दीपक मिश्र ने कहा कि कलकत्ता के प्रतिष्ठित परिवार में छह जुलाई, 1901 को श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ थआ। महान शिक्षाविद, चिंतक और भारतीय जन संघ के संस्थापक रहे डा. मुखर्जी महज 33 साल की आयु में कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बन गए। विचार और प्रखर शिक्षाविद के रूप में उनकी ख्याति लगातार बढ़ती गई।

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने सबसे पहले अनुच्छेद 370 का खुलकर विरोध किया। कहा था कि एक देश में दो निशान दो विधान और दो प्रावधान नहीं चल सकते। वे ऐसी आवाज थे, जिन्होंने सबसे पहले अनुच्छेद 370 का खुलकर विरोध किया और जवाहरलाल नेहरू की अंतरिम सरकार में रहते हुए भी अपनी विचारधारा से समझौता करने की बजाय सरकार से बाहर जाने का रास्ता चुना।

भारतीय जनसंघ के इस देशभक्त राजनेता ने कश्मीर से लेकर अपने विचारों के साथ एक राजनीतिक मुहिम शुरू की, जो कई दशकों बाद पांच अगस्त, 2019 को नरेंद्र मोदी की सरकार में पूरी हुई, जब जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 की बेड़ियों से आजाद हुआ। डा. मुखर्जी को अपने अभियान की कीमत प्राणों की बलि देकर चुकानी पड़ी।

23 जून, 1953 को श्रीनगर में रहस्यमय परिस्थितियों में डाक्टर श्याम प्रसाद मुखर्जी का निधन हो गया। अल्पायु में कोलकाता विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के बाद वह कोलकाता विधानसभा में चुने गए। नेहरू की अंतिरिम सरकार में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इंडस्ट्री और सप्लाई मंत्री के पद की जिम्मेदारी उठाई। इस मौके पर रत्नाकर पाठक, छत्रपति सिंह, मुन्ना, मोनू शर्मा, चंद्रभान सिंह, राहुल समेत कईअन्य भाजपाई मौजूद रहे।

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