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संस्कृति में बसती है राष्ट्र की आत्माः योगी आदित्यनाथ

The live ink desk. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के शताब्दी समारोह में कहा कि “राष्ट्र की आत्मा उसकी संस्कृति में निहित होती है। जैसे मनुष्य की आत्मा शरीर से अलग होने पर शरीर निस्तेज हो जाता है, वैसे ही राष्ट्र से उसकी संस्कृति अलग कर दी जाए तो राष्ट्र अपनी पहचान खो देता है।”

मुख्यमंत्री ने इस वर्ष आयोजित महाकुंभ का उल्लेख करते हुए बताया कि इसमें 66 करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें युवा उपस्थितियों की संख्या सबसे अधिक थी। उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि भारतीय संस्कृति आज भी युवाओं में जीवंत है।

योगी आदित्यनाथ ने संगीत और नृत्य के माध्यम से संस्कृति की महत्ता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि “जगत का पहला स्वर ‘ॐ’ है। योग और संगीत के माध्यम से इस नाद को समझना और साधना करना संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।”

विशिष्ट अतिथि और प्रसिद्ध नृत्यांगना सोनल मान सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में नृत्य, संगीत और कला के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभव मिलता है। उन्होंने बताया कि नृत्य करते समय नटराज, वीणा में स्वर देते समय सरस्वती माता, नाटक के संवाद में राम की मर्यादा और रस में डूबते समय कृष्ण की अनुभूति होती है। मुख्यमंत्री ने इसे राज्य की सांस्कृतिक समृद्धि और युवाओं में संस्कृति के प्रति जागरूकता का प्रतीक बताया।

समारोह में संस्कृति, संगीत और नृत्य के महत्व पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ही वह राज्य है, जहाँ कला और संस्कृति के माध्यम से राष्ट्र की आत्मा जीवित रहती है।

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