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मानवाधिकार आयोग ने झारखंड और तेलंगाना की घटनाओं का लिया संज्ञान, जवाब तलब

The live ink desk. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने झारखंड के जमशेदपुर में महिला को 27 घंटे तक इलाज नहीं मिलने और तेलंगाना जनजातीय समूह की महिला से बलात्कार के मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। दोनों मामलों में (NHRC) नोटिस जारी कर निर्धारितअवधि में जवाब मांगा है।

एनएचआरसी (NHRC) झारखंड की एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया है, जिसमें झारखंड के जमशेदपुर स्थित एमजीएम अस्पताल में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक गर्भवती महिला को सीएचसी द्वारा रेफर किए जाने के बाद 27 घंटे तक वह फर्श पर पड़ी रही।

कथित तौर पर, उसे फर्श पर लेटना पड़ा, क्योंकि अस्पताल में कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं था। इलाज न मिलने के कारण अगले दिन गर्भस्थ शिशु की मृत्यु हो गई। यह भी बताया गया कि एक अन्य महिला, जिसने बच्चे को जन्म दिया था, उसका इलाज फर्श पर किया जा रहा था।

NHRC के मुताबिक यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। आयोग ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, साथ ही पीड़ित महिला के स्वास्थ्य की स्थिति, सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता, पीड़ित परिवार को मुआवजा आदि की जानकारी तलब की है।

इसी तरह एनएचआरसी (NHRC) ने तेलंगाना के कुमुराम भीम आसिफाबाद जिले के जैनूर कस्बे में एक महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या के कथित प्रयास पर जनजातीय संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद उपजे तनाव एवं हिंसा का भी स्वत: संज्ञान लिया है

NHRC के अनुसार, चार सितंबर, 2024 को तेलंगाना के कुमुराम भीम आसिफाबाद जिले के जैनूर कस्बे में एक महिला के साथ दुष्‍कर्म और हत्या के प्रयास किया गया, इसके बाद जनजातीय संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बीच गंभीर सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की स्थिति उत्‍पन्‍न हो गई। आगजनी और पथरावकी घटना सामने आई।

प्रशासन को प्रभावित क्षेत्र में कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। आरोपी अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया और समुदायों के बुजुर्गों ने स्थिति को संभाला।

आयोग ने टिप्‍प्‍णी की है कि यदि समाचार रिपोर्ट की सामग्री सत्य है, तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। आयोग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें एफआईआर, पीड़िता के स्वास्थ्य, राज्य प्रशासन द्वारा परामर्श और मुआवजा देने की स्थिति भी शामिल किए जाने की अपेक्षा की गई है। इसका जवाब दो सप्ताह के भीतर अपेक्षित है।

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