प्रयागराज (आलोक गुप्ता). माफिया ब्रदर्स की हत्या के दूसरे दिन शाम को पुलिस की तरफ से प्रेस रिलीज जारी की गई, जिसमें बताया गया कि हमलावरों ने जिस असलहे का इस्तेमाल किया था, उसमें तुर्किए (तुर्की) में गिरसान और जिगाना (दोनों 9 एमएम) पिस्टल शामिल है। इसके अलावा एक कंट्रीमेड 30 एमएम की पिस्टल घटनास्थल से बरामद हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह पिस्टल (गिरसान और जिगाना) मलेशिया और तुर्की साथ मिलकर बनाते हैं। जिगाना पिस्टल भारत में बैन है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए भारत में लाई जाती है। इसकी कीमत करीब पांच से सात लाख रुपये बताई जाती है। इस पिस्टल की खासियत यह है कि इसमें एक बार में 15 गोलियां लोड होती हैं। आधिकारिक रूप से इस पिस्टल का प्रयोग मलेशियाई सेना, अज़रबैजान सशस्त्र बल, फिलीपींस पुलिस और यूएस कोस्ट गार्ड करते हैं।
फिलहाल माफिया ब्रदर्स की हत्या में शामिल तीनों शूटरों व दो अज्ञात के खिलाफ धारा 302, 307 व 3/7/25/27 शस्त्र अधिनियम एवं 7 सीएलए एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस के द्वारा बताया गाय है कि हत्यारोपी मोहित उर्फ शनी सिंह पेशेवर अपराधी और थाना कुरारा का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ हमीरपुर के कुरारा थाने में कुल 14 मामले दर्ज हैं। इसमें जानलेवा हमला, लूट आदि शामिल हैं।
इसी तरह दूसरे आरोपी लवलेश तिवारी पुत्र यज्ञ कुमार तिवारी (निवासी बांदा) के खिलाफ शराब तस्करी, मारपीट, छेड़छाड़ का केस दर्ज है। जबकि अरुण कुमार मौर्य पुत्र दीपक (निवासी कासगंज) का आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है। अब तक की पूछताछ में दोनों गोलमोल जवाब दे रहे हैं और यह कह रहे हैं कि वह कम समय में नाम कमाने के लिए प्रयागराज आए और इस हत्याकांड को अंजाम दे डाला।
माफिया अतीक अहमद हत्याकांड की जांच के लिए योगी सरकार ने कमीशन आफ इंक्वायरी एक्ट 1952 के तहत न्यायिक आयोग का गठन किया है। इसमें तीन सदस्य शामिल किए गए हैं, जो दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रेषित करेंगे। इस तीन सदस्यीय आयोग में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी, रिटायर्ड आईपीएस सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त न्यायाधीश बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं। इसके लावा उत्तर प्रदेश आयोग के दो अन्य सदस्य इसमें शामिल किए जाएंगे।