मैं 50 साल बाद भी प्यासा हूं, मैं संगमनगरी का शंकरगढ़ हूं!
चारों तरफ से नलकूपों से घिरा है सीमा पर बसा ऐतिहासिक कस्बा, पेयजल देने के नाम पर सरकारों ने योजनाओं पर फूंके करोड़ों रुपये
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित मैं शंकरगढ़ हूं। विंध्य पर्वत की श्रृंखलाएं मुझे छूती हुई निकलती हैं। इसका असर मेरे ऊपर भी पड़ता है। इसी वजह से लोगबाग मुझे ‘पत्थरों का गढ़’ शंकरगढ़ भी कहते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते मेरी एक समस्या सदियों से बनी हुई है और इसका स्थाई समाधान नहीं हो सका।
वह समस्या है पेयजल की। वैसे तो इस क्षेत्र के लोगों कोपेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर समय-समय पर अलग-अलग सरकारों ने तमाम उपकार किए। योजनाओं को कागज से जमीन पर उतारा गया। पर, कोई भी योजना सफलता की बुलंदियों तक नहीं पहुंच पाई। नतीजा मैं प्यासा ही रह गया। सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या फिर सपा-बसपा और भाजपा की। सभी सरकारों में पेयजल संकट को दूर करने के लिए तमाम तरह के वादों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश की गई।
मौजूदा समय में मेरे इर्द-गिर्द ओवरहेड टैंक (पानी की टंकी) का जाल फैला हुआ है, लेकिन किसी से भी पानी नहीं मिल रहा। अप्रैल, मई और जून के माह में यहां का वाटर लेवल 250-350 फीट नीचे तक चला जाता है। ऐसे में प्रत्येक वर्ष यहां के लोगों को पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। ज्यादा हायतौबा मचने पर कुछ दिन तक टैंकर से सप्लाई की जाती है, लेकिन बरसात के शुरू होने के बाद फिर से सबकुछ ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
यमुनापार के बारा तहसील क्षेत्र की बात करें तो विकास खंड शंकरगढ़ के लोहगरा, कपारी, जनवा, लखनपुर, सोनवर्षा, जूही कोठी, ललई, भेलाव समेत दर्जनों गांवों में जलस्तर खिसकता जा रहा है।
कम क्षमता की लगाई गई मोटर
मौजूदा समय में नगर पंचायत शंकरगढ़ में कनक नगर, रामसागर तालाब, लाहौरी तालाब, रानीगंज, जलनिगम समेत कई जगहों में नलकूप का बोर कराया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल गर्मी में करीब 250 से 300 फीट तक पानी नीचे चला जाता है। जबकि कम क्षमता वाली लगाई गई मोटर सिर्फ 100 फीट तक ही काम करती है। दो प्रांतों की सीमा पर आबाद इस कस्बे की इस समस्या के लिए अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, पर समस्या ज्यों की त्यों बनी है, इसका सबसे बड़ा कारण सरकारी सिस्टम से जुड़े लोग हैं, जो यह नहीं चाहते कि समस्या का स्थाई समाधान हो।
टैंकर से पहुंचाया जा रहा पीने का पानी
नगर पंचायत शंकरगढ़ के लिए हाल ही में लाई गई साढ़े चार करोड़ की पेयजल योजना भी धराशायी हो गई। इस योजना का पानी सिर्फ कागजों में आ रहा है। वहीं नगर पंचायत के कई वार्डों में लगी नलकूप की मोटर या तो खराब पड़ी हैं या पानी नहीं दे रही है। मौजूदा समय में कस्बे के कई मोहल्लों में टैंकर से पानी की सप्लाई की जा रही है। तो दर्जनों कस्बावासी अपने पड़ोसियों की दया पर निर्भर हैं। जिनसे कम से कम पीने लायक पानी तो मिल जाता है। इस मसले को लेकर ईओ से बात करने कीकोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।