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अवधी, संस्कृत में रचित रामचरित मानस और पंचतंत्र को मिली UNESCO की मान्यता

The live ink desk. गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी में रचित  रामचरित मानस (Ramcharit Manas) और मूलरूप से संस्कृत में लिखी गई पंचतंत्र (Panchatantra) को यूनोस्को ने मेमोरी आफ द वर्ल्ड एशिया-पेसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया है। इन रचनाओं को इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फार द आर्ट्स, दिल्ली की तरफ से रीजनल रजिस्टर के लिए नामांकित किया गया था।

भारत की अनमोल धरोहर इन पुस्तकों को यूनेस्को की जिस कमेटी ने मान्यता दी है, उसमें यूनेस्को के 38 सदस्य और 40 आब्जर्वर देश शामिल रहे। यह मान्यता भारतीय साहित्यिक रचनाओं के वैश्विक महत्व को को बढ़ाती है, जो भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

यूनेस्को की तरफ से रामचरित मानस (Ramcharit Manas), पंचतंत्र के साथ-साथ सहृदयलोक-लोकन को भी यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गनाइजेशन (UNESCO) वैश्विक मान्यता दी है। इन रचनाओं को मेमोरी आफ द वर्ल्ड एशिया-पेसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया है।

द मेमोरी आफ द वर्ल्ड, इंटरनेशनल एडवाइजरी और एग्जीक्यूटिव बोर्ड की तरफ से प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों के वैश्विक महत्व और यूनिवर्सल वैल्यू के आधार पर इस लिस्ट में शामिल करता है। UNESCO के रीजनल रजिस्टर में शामिल दस्तावेजों को विश्व स्तर पर पहचान बनाने में मदद मिलती है, साथ ही देश की संस्कृति से भी धरती के अन्य देश वाकिफ होते हैं।

बताते चलें कि विष्णु शर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र (Panchatantra) की मूल रचना संस्कृत में की गई है, इसमें दंत व लोककथाएं शामिल हैं। जबकि सहृदयलोक-लोकन की रचना आचार्य आनंद वर्धन ने संस्कृत में की है।

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