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भदोहीः सबसे कम अंतर से जीते गोरखनाथ, वीरेंद्र सिंह को बड़ी मार्जिन का तोहफा

भदोही (संजय सिंह). चुनावों में जीत चाहे एक वोट से मिले या फिर एक लाख से, वह जीत ही कही जाती है। पराजय के लिए भी यही सिद्धांत काम करता है। फिर भी, कुछ हार-जीत ऐसी होती हैं, जिन्हे हम याद करते हैं। जिनकी चर्चाएं करते हैं। जिनका रिकार्ड रखते हैं।

भदोही लोकसभा सीट पर हुए चुनावों में हारजीत के अंतर की बात करें तो सबसे कम वोट से गोरखनाथ पांडेय (2009 में 12963 मत के अंतर से) चुनाव जीते थे, जबकि सबसे बड़ी जीत 2014 में हुई थी। वीरेंद्र सिंह मस्त ने यह चुनाव 158141 मतों से जीता था। 2019 में हारजीत का अंतर 43615 मत तो 2024 में 44072 मत रहा।

भदोही लोकसभा सीट पर हुए चुनाव में भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा ली है। हैट्रिक लगाने वाली भाजपा ने अपने प्रत्येक चुनाव में नये चेहरे पर दांव लगाया, जो उसके लिए फायदेमंद साबित हुआ। भदोही लोकसभा सीट पर भाजपा के खाता खोलने से पहले, साल 2009 में हुए चुनाव में यह सीट बसपा के पास थी।

साल 2009 में ही भदोही लोकसभा सीट पर पहली दफा आम चुनाव हुआ था। यह मुकाबला लगभग-लगभग चतुष्कोणीय हो गया था। कहने का आशय मतदान में मिला जनमत टॉप चार प्रत्याशियों में बंट गया था। 2009 में चुनाव जीतने वाले बसपा प्रत्याशी गोरखनाथ पांडेय को 195808 मत मिला था, जो कुल मतदान का 29.7 फीसद था।

इसी तरह दूसरे स्थान के लिए सपा प्रत्याशी छोटेलाल बिंद को  182845 मत (27.8 प्रतिशत), तीसरे स्थान पर कांग्रेस के सूर्यमणि तिवारी को 93351 मत (14.2 प्रतिशत) और चौथे स्थान पर अपना दल के रामरती बिंद को 83944 मत (12.7 प्रतिशत) मिला था। यह चुनाव बसपा के गोरखनाथ पांडेय ने महज 1.9 फीसद वोटों के अंतर (12963 मत) से जीता था। तीसरे और चौथे स्थान पर प्रत्याशियों को मिला कुल वोट दूसरे स्थान के प्रत्याशी को मिले वोटों के लगभग बराबर है।

अब इसके बाद हुए 2014 के चुनाव की बात करें तो यह मोदी की पहली लहर थी और यहां से भाजपा के वीरेंद्र सिंह मस्त ने चुनाव निकाला था। यह चुनाव पूरी तरह से त्रिकोणीय था। वीरेंद्र सिंह मस्त को 403695 मत (41.10 प्रतिशत) मिला था। जबकि दूसरे स्थान पर बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को 245554 मत (25 प्रतिशत) और सपा की सीमा मिश्रा को 238712 मत (24.3 प्रतिशत) वोट मिला था। वीरेंद्र सिंह मस्त ने यह मुकाबला 158141 मतों (16.1 फीसद) से जीता था।

अब बात करते हैं मोदी की दूसरी लहर में हुए 2019 के चुनाव की। इस चुनाव में भी भाजपा के रमेशचंद्र बिंद को जीत मिली थी। यह मुकाबला दोतरफा था। रमेशचंद्र बिंद को 510029 मत (49.05 फीसद) मिले थे। जबकि दूसरे स्थान के लिए रंगनाथ मिश्र को 466414 मत (44.85 प्रतिशत) मत मिले। इस हारजीत 43615 मतों (4.2 फीसद) के अंतर से हुई थी।

जबकि हाल ही में संपन्न हुए 2024 के चुनाव में भाजपा के विनोद कुमार बिंद को 459982 मत (42.39 प्रतिशत) मिले तो दूसरे स्थान के लिए टीएमसी प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी को 415910 मत (38.33 प्रतिशत) मिले। 44072 मतों (4.06 प्रतिशत) के अंतर से हारजीत हुई।

2024 में भाजपा और बसपा का वोट शेयर घटा

कुल मिलाकर जब-जब दोतरफा मुकाबला रहा, हारजीत में भारी अंतर देखने को मिला और जब-जब जनमत का बंटवारा हुआ, हारजीत का अंतर घटता गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के वोट शेयर में काफी गिरावट हुई है। भाजपा का मत प्रतिशत 6.67 प्रतिशत गिरा है तो बसपा 30.56 फीसद की गिरावट का सामना करना पड़ा। पिछले चार बार से हो रहे लोकसभा चुनावों में बसपा की यह सबसे बड़ी गिरावट है। भदोही लोकसभा सीट से बसपा एक बार विजेता तो 2014 व 2019 में उपविजेता रही है।

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