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दुनिया की ग्रोथ में अकेले भारत दे रहा 15 प्रतिशत का योगदानः राष्ट्रपति

सांसदों और लोकसभा स्पीकर को दी बधाई, कहा- मुझे पूरा विश्वास है, आप सभी राष्ट्र प्रथम की भावना से निभाएंगे अपनी जिम्मेदारी

The live ink desk. देश सेवा और जनसेवा का सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है, आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपना दायित्व निभाएंगे। 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे। लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सभी को जीत की बधाई देते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरलाको भी बधाई दी। कहा, उनके पास सार्वजनिक जीवन का बहुत व्यापक अनुभव है। मुझे भरोसा है कि वे लोकतांत्रिक परंपराओं को अपने कौशल से नई ऊंचाई देने में सफल होंगे।

भारत के चुनाव आयोग का आभार व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। 64 करोड़ मतदातों ने पूरे उत्साह के साथअपना कर्तव्य निभाया। महिलाओं ने अभूतपूर्व भागीदारी की। सबसे सुखद तस्वीर जम्मू-कश्मीर से सामने आई है। कश्मीर घाटी में वोटिंग के अनेक दशकों के रिकार्ड टूटे हैं।

लोकसभा चुनाव में कश्मीर घाटी ने करारा जवाब

बीते चार दशकों में कश्मीर में हमने बंद और हड़ताल के बीच कम मतदान का दौर ही देखा था। देश के दुश्मन इसको (जम्मू-कश्मीर) को वैश्विक मंच पर दुष्प्रचारित करते रहे। पर, इस बार कश्मीर घाटी ने देश और दुनिया को ऐसी हर ताकत को करारा जवाब दिया है। यह पहली बार है, जब घर पर जाकर भी मतदान करवाया गया।

2024 के लोकसभा चुनाव की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है। पूरी दुनिया देख रही है कि भारत के लोगों ने लगातार तीसरी बार स्थिर और स्पष्ट बहुमत की सरकार बनाई है। ऐसा छह दशकों के बाद हुआ।

ऐतिहासिक फैसलों का गवाह बनेगा पहला बजट

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक लोकसभा है। इस लोकसभा का गठन अमृतकाल के शुरुआती वर्षों में हुआ था। यह लोकसभा देश के संविधान को अपनाने के 75वें वर्ष की भी गवाह बनेगी। आगामी सत्रों में यह सरकार अपने कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही है। यह बजट सरकार की दूरगामी नीतियों और भविष्य की दूरदर्शिता का प्रभावी दस्तावेज होगा। बड़े आर्थिक और सामाजिक फैसलों के साथ इसमें कई ऐतिहासिक कदम भी देखने को मिलेंगे।

दुनिया को समाधान दे रहा आज का भारत

द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि दुनियाभर से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्यों में स्वस्थ स्पर्धा हो। यही कंपटीटिव, को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म की सच्ची स्पिरिट है। राज्य के विकास से देश का विकास, इसी भावना के साथ हम आगे बढ़ते रहेंगे। आज का भारत, दुनिया की चुनौतियां बढ़ाने के लिए नहीं बल्कि दुनिया को समाधान देने के लिए जाना जाता है। विश्व-बंधुत्व के तौर पर भारत ने अनेक वैश्विक समस्याओं के समाधान को लेकर पहल की है। जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा तक, पोषण से लेकर सस्टेनबल एग्रीकल्चर तक हम अनेक समाधान दे रहे हैं।

पेपर लीक की घटनाओं पर ठोस उपाय की जरूरत

राष्ट्रपति ने पेपर लीक की घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सरकार का ये निरंतर प्रयास है कि देश के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने का उचित अवसर मिले। सरकारी भर्ती हो या फिर परीक्षाएं, किसी भी कारण से इनमें रुकावट उचित नहीं है। शुचिता और पारदर्शिता बहुत ज़रूरी है। हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसमें दलीय राजनीति से ऊपर उठकर देशव्यापी ठोस उपाय करने की ज़रूरत है। संसद ने भी परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों के विरुद्ध एक सख्त कानून बनाया है। इस दिशा में ठोस प्रयास जारी है।

देश को कमजोर करने की खूब हुईं साजिशें

राष्ट्रपति ने कहा, संचार क्रांति के इस युग में विघटनकारी ताकतें, लोकतंत्र को कमजोर करने, समाज में दरार डालने की साजिशें रच रही हैं। ये ताकतें देश के भीतर भी हैं और बाहर भी। इनके द्वारा अफवाह फैलाने, जनता को भ्रम में डालने के लिए झूठी खबरों का सहारा लिया जा रहा है। इस स्थिति को बेरोक-टोक नहीं चलने दिया जा सकता। बैंकिंग रिफॉर्म के बारे में कहा कि 10 साल पहले भारत के बैंकिंग सेक्टर को डूबने से बचाने के लिए सरकार ने बैंकिंग रिफॉर्म्स किए, IBC जैसे कानून बनाए। आज इन्हीं सुधार ने भारत के बैंकिंग सेक्टर को दुनिया के सबसे मजबूत बैंकिंग सेक्टर में से एक बना दिया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया संविधान का जिक्र

लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने संविधान का जिक्र किया। कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद भी संविधान पर अनेक बार हमले हुए। आज 27 जून है। 25 जून, 1975 को लागू हुआ आपातकाल, संविधान पर सीधे हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। उस समय देशभर में हाहाकार मच था, लेकिन ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर देश ने विजय प्राप्त की, क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं। सरकार भी भारत के संविधान को सिर्फ राजकाज का माध्यम भर नहीं मानती, बल्कि हमारा संविधान जन-चेतना का हिस्सा हो, इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। इसी ध्येय के साथ 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है। अब जम्मू-कश्मीर में भी संविधान पूरी तरह लागू हो गया है।

15 फीसद का योगदान दे रहा हमारा भारत

राष्ट्रपति ने कहा, Reform, perform और Transform के संकल्प ने आज भारत को दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना दिया है। दस साल में भारत 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से ऊपर उठकर पांचवें नंबर परपहुंच गया है। साल 2021 से 2024 के बीच भारत ने औसतन आठ फीसद की दर सेविकास किया है। इतनी ग्रोथ सामान्य स्थितियों में भी नहीं हुई। बीते वर्षों में हमने 100 साल की सबसे बड़ी आपदा (कोरोना) देखी। यह सबकुछ राष्ट्रपित में लिए गए बड़े फैसलों के कारण संभव हुआ। आज अकेले भारत ही दुनिया की ग्रोथ में 15 फीसद का योगदान दे रहा है। भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी इकानॉमी बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है।

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