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Wayanad के बाद कुल्लू, मंडी में दिखा तबाही का मंजर, कई हिस्सों में फटे बादल

The live ink desk. देश के कई हिस्से इन दिनों अतिवृष्टि की चपेट में हैं। वायनाड में मंगलवार की भोर में हुए विनाशकारी भूस्खलन के दो दिन बाद उत्तराखंड के कुल्लू, मंडी समेत उत्तराखंड व हिमाचल के कई हिस्सों में बादल फटने और मूसलाधार बरसात की खबरें सामने आईं। जम्मू भी प्राकृतिक आपदा की चपेट में है।

हिमाचल प्रदेश के मंडी के पधर उप मंडल के थल्टूखोड़ में बादल फटने की घटना में चार लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा 49 लोग लापता बताए जा रहे हैं। कुल्लू में भी मूसलाधार बरसात और बादल फटने से भारी तबाही हुई है। तमाम लोग लापता हैं। स्थानीय प्रशासन के द्वारा अलर्ट जारी  करते हुए स्थानीय लोगों व पर्यटकों को नदी-नालों से दूर रहने की अपील की गई।

दोनों राज्यों में कई स्थानों पर सड़कें बह गई हैं। कई मकान ढहे हैं। कुल्लू में डैम भी भारी नुकसान हुआ है। इस आपदा में देश के अलग-अलग राज्यों से आए तमाम पर्यटक भी जहां-तहां फंसे हुए हैं। मंडी में राज्यमंत्री राजेश धर्माणी ने के थल्टूखोड़ में चार लोगों के मौत की पुष्टि की है।

मंडी के थल्टूखोड़ में बादल फटने से हुई तबाही केबाद से ही राहत-बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। स्थानीय टीमों केसाथ-साथ एनडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। कई स्थानों पर रास्ताबह जाने के कारण राहत टीमों को मौके तक जाने के लिए पैदल का सहारा लेना पड़रहा है।

कुल्लू में बादल फटने कीघटना मलाणा नाले में हुई, इससे नाले के जलस्तर इतना बढ़ गया कि मलाणा डैम क्षतिग्रस्त हो गया। कई घरों को नुकसान पहुंचा है। यहां की सब्जी मंडी नाले के साथ आए मलबे में खत्म हो गई। इसी तरह श्रीखंड महादेव में बादल फटा है, जहां दर्जनभर लोग लापता बताए जारहे हैं। कुल्लू-मनाली सड़क मार्ग पर कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त होगया है।

सीएम ने की यात्रा नहीं करने की अपील

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, रामबाड़ा, भीमबली, जखनियाली व अन्य अधिक प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य चलाए जारहे हैं। उन्होंने मौसम के मद्देनजर लोगों से यात्रा नहीं करने की अपील की है। धामी ने कहा, स्थानीय प्रशासन से लगातार संपर्क किया जा रहा है। प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को लगाया गया है।

मंदाकिनी नदी में बहा हाईवे का एक हिस्सा

सोनप्रयाग में केदारनाथ हाईवे का एक बहुत बड़ा हिस्सा मंदाकिनी नदी में बह गया है। इससे केदारनाथ यात्रा पर भी ब्रेक लग गई है। सोनप्रयाग में ही सोन नदी के कटाव के कारण हाईवे और विद्युत विभाग के पावर हाउस को भी क्षति पहुंची है। यहां रेस्क्यूआपरेशन चलाने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। केदारनाथ हाईवे और भीमबली और रामबाड़ा के बीच पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। सोनप्रयाग में फंसे लोगों को रस्सी के जरिए रेस्क्यू किया गया।

गौरीकुंड में पहले से बरती गई सर्तकता

केदारनाथ यात्रा के सबसे मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में संचार व विद्युत सेवा ठप है। मंदाकिनी नदी का जल स्तर बढ़ने से गौरीकुंड स्थित गर्म कुंड एक बार फिर आपदा की भेंट चढ़ गया है। घोड़ा पड़ाव गौरीकुंड को भी नुकसान हुआ है। पानी के साथ आए मलबे में पार्किंग में खड़े कुछ वाहनों भी बह गए हैं। गौरीकुंड ने 2013 की आपदा के बाद दोबारा फिर प्राकृतिक आपदा का दंश झेला है। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए गौरीकुंड के निचले हिस्से को पहले ही खाली करवा दिया था।

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