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वायनाड में आपदा का छठां दिनः बिना थके दिन-रात डटी हैं तीनों सेनाएं

बचाव के दौरान तेज धारा में फंसे स्वयंसेवक, अब तक 308 लोगों के मौत की हो चुकी है पुष्टि

The live ink desk. देश के दक्षिणी राज्य केरल के वायनाड (Wayanad) में प्रलयकारी भूस्खलन का आज छठवां दिन है। पहले दिन, मंगलवार से ही देश की तीनों सेनाएं आर्मी, एयरफोर्स, नेवी, कोस्टगार्ड, एनडीआरएफ के साथ स्थानीय एजेंसियां, दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता राहत-बचाव कार्य में डटे हुए हैं।

अब तक 308 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है। सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है। जीवन को पटरी पर लाने के लिए मलबे में दबे जीवन को फिर से संवारने में तीनों सेनाएं बिना थके दिनरात मेहनत कर रही हैं। मलबे में जीवन की संभावनाओं को देखते हुए आर्मी केद्वारा स्पेशल खोजी कुत्तों का सहारा लिया जा रहा है।

वायनाड की जिला कलेक्टर मेघाश्री डीआर ने न्यूज एजेंसी को बताया कि “बचाव अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है। सुरक्षा बलों के 1300 जवान-अधिकारी अलग-अलग सेक्टर्स और क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा स्थानीय स्वयंसेवक भी वहां मौजूद हैं। 2000 से अधिक लोग राहत-बचाव अभियान में भाग ले रहे हैं।

जिला कलेक्टर ने बताया कि शनिवार को राहत-बचाव कार्य के दौरान कुछ लोग पानी की तेज धारा में फंस गए थे। प्रलयकारी लैंडस्लाइड में भारी तबाही हुई है। एक-एक जीवन को बचाने की कोशिश जारी है। इसके अलावा राहतबचाव कार्य में लगे लोगों की भी सुरक्षा सुनिश्चित कीजा रही है, ताकि किसी के साथ कोई अनहोनी न होने पाए।

प्रभावित क्षेत्र सेनिकाले गए लोगों को सुरक्षित ठिकानों, राहत शिविरों में पहुंचाया ज रहा है, जहां पर उन्हे सभी प्रकार की सुविधाएं, चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

दूसरी तरफ, लगातार छह दिन सेचल रहेराहत बचाव कार्य में यहां का मौसम भी बड़ी बाधा बना हुआ है। खराब मौसम के बावजूद देश की तीनों सेनाएं प्रभावित क्षेत्रों में डटी हुई है। भारतीय सेना, एयरफोर्स के साथ-साथ भारतीय नौसेना का बचाव और राहत अभियान जारी है। राहत प्रयासों को बढ़ाने और आपदा से प्रभावित स्थानीय समुदाय की मदद करने के लिए आईएनएस ज़मोरिन से अतिरिक्त कर्मियों, भंडार, संसाधनों और आवश्यक आपूर्ति की गई है।

नौसेना की तरफ से 78 नौसैनिक चला रहे अभियान

नौसेना की तरफ से 78 नौसेना कर्मी शामिल हैं। चूरलमाला और मुंडक्कई क्षेत्र के कई स्थानों पर नौसेना कर्मियों की टीमों को तैनात किया गया है, जो आपदा राहत बलों और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव कार्य कर रहे हैं। आपदा से प्रभावित लोगों को जरूरी सामग्री और खाने-पीने की चीजों की निरंतर आपूर्ति बनाए रखने के लिए एक टीम को नदी के पास तैनात किया गया है, जबकि अन्य टीमों को जीवित बचे लोगों की तलाश, मलबा हटाने और शवों की बरामदगी के लिए तैनात किया गया है।

चूरलमाला में नेवी ने बनाई चिकित्सा चौकी

घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए चूरलमाला में एक चिकित्सा चौकी स्थापित की गई है। चूरलमाला और मुंडक्कई के बीच नदी पर दोनों इलाकों को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण बेली ब्रिज बनाने में भारतीय सेना के प्रयासों में तेजी लाने के लिए तीन अधिकारियों और 30 नाविकों की एक टीम जुटी है।

लैंडस्लाइड से कट गया था दो क्षेत्रों का संपर्क

एक अगस्त को आए विनाशकारी भूस्खलन से चूरलमाला और मुंडक्कई अलग हो गए थे। यह पुल दोनों इलाकों के बीच भारी मशीनरी और एम्बुलेंस की आवाजाही को सक्षम करता है। दो अगस्त  को भारतीय नौसेना के एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) आईएनएस गरुड़ ने कालीकट से जीवित बचे लोगों के लिए प्रभावित क्षेत्रों की हवाई निगरानी की और शवों का पता लगाया।

लो विजिबिलिटी के बावजूद हेलीकाप्टर ने भरी उड़ान

इस हेलीकॉप्टर ने बचाव उपकरणों के साथ 12 राज्य पुलिस कर्मियों को आपदा क्षेत्र में पहुंचाया, जो सड़क मार्ग से काफी मुश्किल था। कम दृश्यता और चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में पहाड़ी इलाके में उड़ान भरी गई। भारतीय नौसेना फंसे हुए लोगों को शीघ्र निकालने, बुनियादी सुविधाओं और चिकित्सा सहायता का प्रावधान सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।

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