लखनऊ. गंगा, यमुना, शारदा, सरयू, राप्ती, केन समेत कई नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव बना हुआ है। कहीं-कहीं सहायक नदियों के जल से इन नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है तो कुछ स्थानों पर जलस्तर स्थिर बना हुआ है। प्रदेश सरकार और आपदा राहत विभाग लगभग माहभर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर नजर बनाए हुए है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत-बचाव कार्य चलाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने प्रभावित सभी जनपदों (कासगंज, मेरठ, पीलीभीत, खीरी, कानपुर नगर और मथुरा) को मुआवजा वितरण के लिए 36 करोड़ रुपये की धनराशि भी उपलब्ध करा दी है।
इधर, सूबे से होकर गुजरने वाली नदियों में गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। सूबे के राहत आयुक्त ने बताया कि तीन अगस्त, 2024 को सुबह साढ़े नौ बजे लिए गए डाटा के मुताबिक बदायूं जनपद में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। यहां पर लाल निशान 162 मीटर पर है। जबकि सुबह साढ़े नौ बजे गंगा का जलस्तर 162.47 मीटर हो गया था। जलस्तर में बढ़ोत्तरी जारी थी।
इसी तरह बलिया में गंगा और सरयू का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गंगा का जलसतर 55.14 मीटर (लाल निशान 57.615 मीटर) रिकार्ड किया गया। जबकि सरयू 63.69 मीटर पर बह रही हैं। सरयू का लाल निशान 64.010 मीटर पर है। गोरखपुर जनपद में एक बार खतरे के निशान को पार कर वापस लौट चुका राप्ती का पानी एक बार फिरबढ़त बनाए हुए है। शनिवार को राप्ती का पानी 73.67 मीटर पर रिकार्ड किया गया। जबकि यहां पर खतरे का निशान 74.98 मीटर पर है।
लखीमपुर खीरी में बढ़ रहा शारदा का पानी
इसी तरह लखीमपुर खीरी में शारदा का जलस्तर बनबसा में 318.90 मीटर, शारदा घाट में 134.70 मीटर बढ़त के साथ रिकार्ड किया गया। जबकि इसी जनपद में शारदा के पलिया कला में जलस्तर 154.220 मीटर रिकार्ड रिकार्ड किया गया। यह खतरे के निशान के बिल्कुल करीब है। घाघरा नदी (गिरिजा) में 135.05 मीटर जलस्तर रिकार्ड हुआ।यहां जलस्तर स्थिर बना हुआ है।
इन जिलों में लगातार बढ़ रहा जलस्तर
आजमगढ़ में घाघरा का जलस्तर 71.460 मीटर, सीतापुर में गोमती का जलस्तर 119.00 मीटर, बांदा में केन नदी का जलस्तर 95.17 मीटर, चित्रकूट में यमुना का जलस्तर 81.22 मीटर, पयश्वनी (रामघाट, चित्रकूट) का जलस्तर 123.80 मीटर और पश्चिमी यूपी के शाहजहांपुर जनपद में गर्रा नदी का जलस्तर 145.75 मीटर बढ़त के साथ दर्ज किया गया है।
खतरे के निशान से लौट रही गंडक
दूसरी तरफ कुशीनगर में गंडक का जलस्तर 95.13 मीटर (खतरे का निशान 96 मीटर), हरदोई में गंगा का जलस्तर 125.06 मीटर, अयोध्या में घाघरा का 92.50 मीटर, महराजगंज में राप्ती का 78.49 मीटर, गंडक का 106.77 मीटर, बाराबंकी में घाघरा का 105.776 मीटर, उन्नाव में गंगा का 111.51 मीटर, सिद्धार्थनगर में राप्ती (बांसी) का 83.84 मीटर और बस्ती में कुआनो नदी का जलस्तर 80.941 मीटर रिकार्ड किया गया। इन सभी नदियों का जलस्तर घट रहा है।
यमुना, बेतवा, गंडक का जलस्तर स्थिर
जबकि देवरिया में छोटी गंडक (सलेमपुर) 61.40 मीटर (स्थिर), सीतापुर में घाघरा का 117.50 मीटर, फर्रुखाबाद में गंगा का 136.55 मीटर, रामगंगा का 134.45 मीटर, बिजनौर में गंगा का 219.30 मीटर, इटावा में यमुना 115.89 मीटर (स्थिर), जालौन में नून का 132.74 मीटर (स्थिर), झांसी में बेतवा का 193.88 मीटर (स्थिर), ललितपुर में बेतवा (माताटीला बांध) का 306.93 मीटर, महोबा में उर्मिल का 229 मीटर (स्थिर), छतरपुर (एमपी) में केन का 175.15 मीटर और शाहजहांपुर में रामगंगा का 135.13 मीटर रिकार्ड किया गया। इन नदियों का पानी भी उतर रहा है।
नेपाल में खतरे की तरफ वेस्ट राप्ती
बरसात के सीजन में यूपी और बिहार में बरसात के पानी सेज्यादा खतरा समीपवर्ती देश नेपाल के पानी से ज्यादा होता है। इस समय नेपाल की दाधेलधुरा में महाकाली नदी (परीगांव) का जलस्तर 5.41 मीटर (स्थिर), कपिलवस्तु में बाणगंगा का जलस्तर 2.01 मीटर (स्थिर), अछम में कर्नाली का जलस्तर 7.9 मीटर (स्थिर) और चितवन (लोथार) में नारायणी नदी का जलस्तर 2.91 मीटर (स्थिर) रिकार्ड किया गया है। जबकि पयुथान में वेस्ट राप्ती का जलस्तर खतरे के निशान की तरफ बढ़ रहा है। इसका जलस्तर 3.76 मीटर तक पहुंच गया है। यहां खतरे का निशान 4.5 मीटर पर है।
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