The live ink desk. किसी भी कालखंड में भारत से लूटकर, चोरी करके विदेश ले जाई गईं भारतीय कलाकृतियों (पुरावशेष) को वापस लाए जाने का सिलसिला अनवरत जारी है। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकारके कार्याकल में ऐसी 345 कलाकृतियों को वापस भारत लाया गया, जिनका भारत में पुरातात्विक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है।
केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में बताया कि विभिन्न देशों से कुल 345 पुरावशेष वापस लाए गए हैं। पुरावशेषों को वापस लाने के लिए कोई विशिष्ट बजट आवंटित नहीं किया गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अपने उपलब्ध बजट से आवश्यकतानुसार व्यय करता है।
उन्होंने कहा, सांस्कृतिक विरासत के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। लोगों की जागरूकता के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा विभिन्न प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। खजुराहो में जी-20 बैठक और नई दिल्ली में विश्व धरोहर समिति की बैठक के दौरान स्वदेश लाई गई कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाई गई।
वापस लाए गए चयनित पुरावशेषों को पुराने किले की गैलरी में जनता के लिए भी प्रदर्शित किया गया। कलाकृतियों की तस्करी को रोकने के लिए, एएसआई विभिन्न कानून-प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर काम करता है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जब भी किसी पुरावशेष की चोरी की सूचना मिलती है, तो संबंधित पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जाती है और चोरी किए गए पुरावशेषों का पता लगाने के लिए निगरानी के लिए कस्टमज़ एग्जिट चैनल्स सहित कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ‘लुक आउट नोटिस’ जारी किया जाता है।
जिन राष्ट्रों से पुरावशेषों को वापस भारत लाया गया है, उसमें अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), इटली, थाईलैंड, सिंगापुर, जर्मनी जैसे देश शामिल हैं।
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