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तुगलकी फरमानः विश्वविद्यालय जाने से रोक के बाद एनजीओ में काम करने पर भी प्रतिबंध

नई दिल्ली (the live ink desk). अफगानिस्तान (Afghanistan) में अभी चंद दिन पहले ही तालिबान (Taliban) की सरकार ने लड़कियों के विश्व विद्यालय जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए तालिबान (Taliban) ने महिलाओं को गैर सरकारी संस्थान यानी एनजीओ में काम करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी तालिबान को निशाने पर लिया है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने कहा है कि यह लड़कियों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है। इस बारे में तालिबान ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि एनजीओ की महिलाएं बुर्का नहीं पहन कर शरिया कानून का उल्लंघन कर रही हैं। इसी क्रम में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भी तालिबान के इस फैसले की निंदा की है और कहा है कि यह फैसला अफगानिस्तान के लोगों के लिए बहुत विनाशकारी होगा। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय में पढ़ाई प्रतिबंधित करने के फरमान के खिलाफ स्थानीय महिलाएं जोरदार प्रदर्शन भी कर रही हैं।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एनजीओ में काम करने वाली कई महिलाएं अपने परिवार की तरफ से अकेली कमाने वाली हैं। उनका कहना है कि उनका परिवार कैसे चलेगा। कुछ महिलाओं ने तो तालिबान के इस्लामिक ड्रेस कोड पर ही सवालिया निशान लगाया है। कुल मिलाकर लोगों को इसके पहले की अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार की याद आ रही होगी।

उस समय भी तालिबानी सरकार ने महिलाओं के लिए दकियानूसी कानूनों को अमल में लाया था और शरिया कानूनों पर जोर दिया था। अफगानिस्तान में जब से तालिबान की सरकार आई है. वहां के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। आम लोगों के मूल अधिकारों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और उनके बुनियादी अधिकारों का हनन किया जा रहा है।

 

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