अंतर्देशीय जलमार्गों के विकास और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को मजबूत करेगा River Cruise ‘गंगा विलास’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 जनवरी को हरी झंडी दिखाकर बनारस से करेंगे रवाना, 52 दिनों में तय करेगा तीन हजार किमी से अधिक की दूरी
वाराणसी (संजय कुमार). आत्मनिर्भर होते भारत का अनमोल तोहफा रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ (Ganga Vilas) 13 जनवरी को बनारस से अपने 52 दिनों की यात्रा पर रवाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अत्याधुनिक रिवर क्रूज को वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। वाराणसी से डिब्रूगढ़ के बीच 3200 किलोमीटर की यात्रा को यह रिवर क्रूज 52 दिन में पूरा करेगा। इस दौरान रास्ते में पड़ने वाले विभिन्न हैरिटेज स्थलों पर यह रुकेगा। काशी से सारनाथ तक, माजुली से मयोंग तक, सुंदरबन से काजीरंगा तक, यह क्रूज (River cruise) जीवनभर का अनमोल अनुभव प्रदान करेगा। गंगा और ब्रह्मपुत्र के राष्ट्रीय जलमार्ग से होते हुए (वाया बांग्लादेश) होते हुए यह रिवर क्रूज डिब्रूगढ़ पहुंचेगा।
यह विश्व का सबसे लंबा रिवर क्रूज (River cruise) है, जो अत्याधुनिक सुविधाओं और उपकरणों से युक्त है। बांग्लादेश और केंद्र सरकार के सहयोग से यह रिवर क्रूज 15 दिन तक बांग्लादेश के तमाम ऐतिहासिक स्मारकों का भ्रमण भी कराएगा। इससे न सिर्फ जलमार्ग के निकट स्थित मनोरम व ऐतिहासिक स्थलों को देखने का मौका मिलेगा, बल्कि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय उद्यम को भी फलने-फूलने का अवसर प्राप्त होगा।
बनारस से रवाना होने के बाद यह रिवर क्रूज (River cruise) गंगा, भागीरथी, हुगली और मेघना सहित कई नदियों के तटीय क्षेत्रों में स्थित 40 ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराएगा। यह रिवर क्रूज भारत के लिए नदी पर्यटन के क्षेत्र में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक बनेगा।
विश्व के सबसे लंबे रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ का निर्माण देश के कल्चर और हैरिटेज को ध्यान में रखते हुए किया है। 62 मीटर लंबा यह क्रूज 12 मीटर चौड़ा है। इसमें तीन डेक (तीन मंजिला) हैं। 36 पर्यटकों की क्षमता वाले बोर्ड पर सभी सुविधाओं से युक्त 18 सुइट हैं। इसके अलावा यह क्रूज प्रदूषण मुक्त प्रणाली और शोर नियंत्रण तकनीकों से लैस है।
एमवी गंगा विलास रिवर क्रूज अंतर्देशीय जलमार्गों के अनवरत विकास को जबरदस्त बढ़ावा देगा। यात्री पर्यटन के साथ-साथ सामानों की ढुलाई में इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आ रहे हैं। गंगा विलास क्रूज देश में नदी पर्यटन की क्षमता को बढ़ाने की दिशा में एक बेहतरीन पहल है। नदी पर्यटन के शुरू होने के बाद वैश्विक स्तर पर इसका भरपूर लाभ होगा। इससे भारत की आध्यात्मिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और साथ ही जैव विविधता की विरासत और समृद्धि होगी।
अपनी 52 दिनों की यात्रापर रवाना होने के लिए रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ सोमवार की शाम को ही वाराणसी पहुंच गया है। इसके साथ स्विटजरलैंड के 31 पर्यटक भी वाराणसी पहुंचे हैं।
पांच राज्यों से गुजरेगा रिवर क्रूज गंगा विलासः आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक यह लग्जरी क्रूज भारत और बांग्लादेश के 5 राज्यों से होकर गुजरेगा। इस दौरान विभिन्न नदियों से होते हुए 3,200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेगा। यात्री पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्व विरासत स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों और बिहार में पटना, झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों की क्रूज यात्रा की योजना बनाई गई है।
रास्ते में पड़ेगा सुंदरवन और काजीरंगा पार्कः यह क्रूज रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध बंगाल डेल्टा की खाड़ी में सुंदरवन के विश्व धरोहर स्थलों के साथ-साथ एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी गुजरेगा। वाराणसी में प्रसिद्ध गंगा आरती का मनोरम दृश्य दिखाने के बाद यह बौद्ध धर्म की श्रद्धा के स्थान सारनाथ में रुकेगा। यह मायोंग को भी एक्सप्लोर करेगा, जो अपनी तांत्रिक विद्या के लिए जाना जाता है। यात्री बिहार स्कूल ऑफ योग और विक्रमशिला विश्वविद्यालय भी जाएंगे, जिससे उन्हें आध्यात्मिकता व ज्ञान से समृद्ध भारतीय विरासत से रूबरू होने का मौका मिलेगा।