लखनऊ/प्रयागराज. 69,000 शिक्षक भर्ती में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है। डबल बेंच ने भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण के नार्म्स की अनदेखी किए जाने पर भर्ती के लिए बनाई गई सूची को रद्द करने और फिर से नई सूची बनाने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया है।
प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षक भर्ती की यह मेरिट सूची एक जून, 2020 को जारी की गई थी। अदालत ने 13 मार्च, 2023 के एकल पीठ के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित मेरिट में आने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में ही माइग्रेट किया जाएगा।
यह फैसला न्यायमूर्ति एआर मसूद और बृजराज सिंह की बेंच ने सुनाया है। डबल बेंच ने महेंद्र पाल समेत कुल 90 विशेष अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। अपील में भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठाया गया था और कहा गया था कि 19 हजार शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण घोटाला हुआ है।
पुरानी मेरिट सूची को रद्द करते हुए अदालत ने बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए पूरी लिस्ट को नये सिरे से तीन माह के भीतर बनाने का आदेश प्रदेश सरकार को दिया गया है।
बताते चलें कि प्रदेश सरकार ने 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए दिसंबर, 2018 में विज्ञापन निकाला था। इसके लिए जनवरी, 2019 में परीक्षा का आयोजन किया गया था।इस परीक्षा में 4.1 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। इस भर्ती प्रक्रिया की जब मेरिट सूची जारी की गई तो ऐसे अभ्यर्थियों को झटका लगा, जिन्हे उम्मीद थी कि उनके चयन हो जाएगा।
इस भर्ती में ओबीसी वर्ग को 27 फीसद की जगह 3.86 प्रतिशत और एससी को 21 की जगह सिर्प 16.2 फीसद आरक्षण दिया गया था।