वैज्ञानिक पद्धति से जलवायु अनुकूल खेती लाभदायकः शिपू गिरि
किसान मेले में दी गई मिलेट्स के उत्पादन और फायदे की जानकारी
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). अखिल भारतीय सरदार पटेल सेवा संस्थान अलोपीबांग में आयोजित नौ दिनी किसान मेले के आठवें दिन खाद्य प्रसंस्करण एवं बीज उत्पादन तकनीक पर विस्तार से चर्चा की गई। उप कृषि निदेशक ने अंतराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के बारे में बताते हुए अन्नदाताओं को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, मोटे अनाज खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पोषण सुरक्षा का कार्य करते हैं। किसानों को मोटे अनाजों की खेती करके अपनी आमदनी दोगुनी करनी चाहिए। जनपद में बीज विधायन के लिए अब तक 5 संयत्र विभागीय अनुदान द्वारा स्थापित किए गए हैं, जो बीज उत्पादन का कार्य कर रहे हैं।
अध्यक्षता कर रहे सीडीओ शिपू गिरि ने कहा, भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां ज्यादातर लोगों की आजीविका कृषि पर निर्भर है। वर्तमान में समय के साथ-साथ कृषि में नई-नई चुनौतियां भी उभर रही हैं, जिनसे उबरने के लिए किसानों को वैज्ञानिक पद्धति से जलवायु अनुकूल खेती करनी चाहिए। किसानों को परंपरागत यूरिया के स्थान पर अब नैनो यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए। देश की जीडीपी में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। किसानों के सभी समस्याओं के निदान के लिए प्रशासन सदैव तत्पर रहता है।
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बीज उत्पादन तकनीक पर चर्चा करते हुए शुआट्श नैनी से आए कृषि वैज्ञानिक डा. टीडी मिश्र ने बीज उत्पादन को किसानों के लिए लाभकारी बताया। कहा कि किसानों को हमेशा प्रमाणित एवं आधारीय बीजों का प्रयोग करना करना चाहिए। किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज उत्पादन के लिए पंक्ति में बुआई करनी चाहिए। उच्च गुणवत्तायुक्त बीज के लिए बाजार पर निर्भरता कम करते हुए स्वयं बीज उत्पादन करना चाहिए, इससे किसानों की लागत कम होगी और आमदनी बढेगी। कृषि विज्ञान केंद्र छाता के वैज्ञानिक एमपी सिंह ने किसानों को सहभागी बीज उत्पादन, बीज ग्राम, योजना, बीज उत्पादन योजना में कृषकों को सम्मिलित होने के लिए प्रोत्साहित किया। बताया कि बीज उत्पादन करने से किसानों की आमदनी लगभग 20 प्रतिशत बढ़ जाती है। प्रजनक बीज, आधारीय बीज, रिसर्च बीज, प्रमाणित बीजों पर लगने वाले टैग के रंग के बारे में विस्तार से कृषकों को बताया गया।
इसके अलावा स्वयं सहायता समूहों, किसान उत्पादक संगठनों, किसान क्लबों को खाद्यान्नों के विभिन्न उप उत्पादों जैसे सूजी, मैदा बनाना, फलों से जैम, जेली, अचार, मुरब्बा, बनाने एवं उसके विपणन के बारे में विस्तार से बताया गया। कृषि वैज्ञानिक निमिशा नटराजन ने मिलेट्स पर परिचर्चा की। जिला कृषि अधिकारी सुभाष मौर्य ने किसानों को उत्पादों की पैकिंग, प्रोसेसिंग आदि की जानकारी दी।
कार्यक्रम में कृषि से संबंधित विभिन्न विभागों एवं संस्थाओं द्वारा कृषकों की जानकारी के लिए 60 स्टाल लगाए गए और लगभग 1600 कृषकों द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया। संचालन इंदिराकांत पांडेय ने किया।