अवध

डीपीएसः भवन का सत्यापन करवाएं या फिर कार्यवाही को रहें तैयार

प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने आशा एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी को थमाई नोटिस

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने दिल्ली पब्लिक स्कूल (आशा एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी) को भवन का पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करने का निर्देश जारी किया है। पीडीए के नगर नियोजक की तरफ से जारी किए गए आदेश के मुताबिक दिल्ली पब्लिक स्कूल का निर्माण करछना तहसील के देवरख उपरहार (अरैल) में आराजी संख्या 113, 115, 131, 132, 251, 255 और 259 पर करवाया गया है।

यमुना के तट पर स्थित इस भूमि पर खड़ा डीपीएस का आलीशान भवन प्रत्येक वर्ष बाढ़ के दौरान जलमग्न हो जाता है। डूब क्षेत्र में होने के कारण इसके निर्माण स्थल को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। अब, प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने बुधवार (22 फरवरी, 2023) को डीपीएस को एक पत्र भेजकर भवन निर्माण का पूर्णता पत्र प्राप्त करने का आदेश दिया है।

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पीडीए की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि दिल्ली पब्लिक स्कूल मानचित्र के निर्माण स्थलों पर भवन निर्मित होने के पश्चात प्रा.वि.प्रा. से पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाना आवश्यक है। इसके पश्चात ही निर्माण स्थल उपयोग के लिए सुरक्षित माना जाता है। यह भी अवगत कराना है कि पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त किए बिना ही स्थल पर विद्यालय की गतिविधियां काफी पूर्व से प्रारंभ कर दी गई हैं, यह आपत्तिजनक है।

पीडीए ने अपने आदेश में कहा है कि भवन निर्माण एवं विकास उपविधि के निर्धारित प्रारूप पर एक सप्ताह के भीतर आनलाइन आवेदन करें, अन्यथा की स्थिति में पीडीए के द्वारा अग्रिम कार्यवाही की जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी दिल्ली पब्लिक स्कूल, प्रयागराज (आशा एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी) की होगी।

क्या होता है भवन का पूर्णता प्रमाणपत्रः पीडीए ने डीपीएस को भेजे गए अपने पत्र में कहा कि पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करने से भवन के निर्माण की गुणवत्ता, नेशनल बिल्डिंग कोड की गाइडलाइन, स्ट्रक्चरल सेफ्टी इत्यादि के मानकों के साथ ही अग्नि से बचाव के लिए किए गए इंतजामों का प्रमाणीकरण हो जाता है, जिससे दुर्घटना की संभावनाएं शून्य हो जाती हैं। इसके लिए नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 की धारा 15ए(1) में नियम पूरी तरह से स्पष्ट हैं।

चूंकि, डीपीएस एक शैक्षिक संस्थान है, जहां पर प्रयागराज के सैकड़ों बच्चे रोजाना शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाते हैं, ऐसे में यह प्रमाणपत्र और भी जरूरी हो जाता है।

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