भगवान सिर्फ और सिर्फ प्रेम के भूखेः इंद्र कुमार शास्त्री
भागवत कथा में कथावाचक ने कहा- सब कुछ दान करने में यदि प्रेम समाहित नहीं तो सारा दान-पुण्य बेकार
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायक होती हैं। भगवान कृष्ण ने बचपन में अनेक लीलाएं की। बालरूप में भगवान कृष्ण सभी का मन मोह लिया करते थे। उक्त बातें आचार्य इंद्र कुमार शास्त्री ने कही। वह जागेश्वर नाथ मंदिर कपड़ौरा नारीबारी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कृष्णलीला का वर्णन कर रहे थे।
आचार्य ने कृष्ण जन्म के पश्चात कृष्ण की बाल लीला व माखन चोरी, रास लीला, कलिया नाग को नाथने की कथा का सविस्तार वर्णन किया। उन्होंने कहा, जो दूसरे को यश प्रदान करे, वही यसोदा है। जो सब को आनंद दे वही नंद है। आचार्य इंद्र कुमार शास्त्री ने कहा, भगवान केवल प्रेम के भूखे हैं। सब कुछ दान करने में यदि प्रेम का भाव समाहित नहीं है तो उस दान का कोई महत्व नहीं रह जाता है। मुख्य यज्ञमान छपा महाराज पुरवा के समाजसेवी अर्कनाथ ठाकुर रहे।
सांसद प्रो. रीता बहुगुणा जोशी के प्रतिनिधि एवं जनसमपर्क प्रमुख संत प्रसाद पांडेय ने आरती में शामिल हुए। कथा में मध्य प्रदेश छत्तीसगढ, राजस्थान एवं दिल्ली सहित विभिन्न क्षेत्रों से मैथिल ब्राह्मण समाज के प्रबुद्धजनों ने भाग लिया।
शाम को कथा समापन के बाद महिलाओं द्वारा कीर्तन भजन का गायन होता है। पूजन वेदी में कामेश्वर मिश्र, महेंद्र मिश्र आचार्य रहे। आयोजन में दिवानाथ ठाकुर, अमित ठाकुर, आलोक ठाकुर, आनंद ठाकुर, प्रमोद बाबू झा, संदीप ठाकुर, विनय वेदाचार्य सहित व्यवस्था समिति के सदस्यों की उल्लेखनीय भूमिका रही।
कथा सुनने के लिए विजय कुमार मिश्र, वल्लरी मिश्र भोपाल, संदीप मिश्र, मंजू मिश्र पाटन (छग), अनूप झा, प्रीति झा (चिरचाङ बांध महाराष्ट्र), किरन ठाकुर, सुभाष ठाकुर (कातुर्ली महाराष्ट्र), संतोष झा रेनू झा (रायपुर, छग), निर्मल मिश्र पूर्व क्रीङा अधिकारी पन्ना, शरद झा, आशा झा (दुर्ग), शशिकांत ठाकुर (जबलपुर), वरिष्ठ शिक्षाविद सिद्धिनाथ झा मुंगारी, सुरेश झा, विभा झा, मिझून, आलोक ठाकुर (राजस्थान) के अलावा भाजपा जिला महामंत्री डा. विजय शंकर शुक्ल, जिला मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।
श्रीराम कथा के भंडारे में उमड़े श्रद्धालु
मवैया नारीबारी में श्रीराम कथा में साध्वी स्पंदनी हनुमंती देवी ने दिव्य एवं आध्यात्मिक संगीतम कथा का रसपान कराया। कथा के समापन मौके पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से संतोष सिंह, बाबा सिंह, रविभान यादव, कल्लन सिंह, प्रमोद सिंह कौदी, विजय बहादुर सिंह, विजय शंकर तिवारी, सूबेदार सिंह, धनुष सिंह, कृष्णराज सिंह, विनोद तिवारी, प्रदीप मिश्र, कुंवर भोला सिंह, रामचंद्र केशरवानी, लल्लन सिंह आदि शामिल हुए।