जियारत को उमड़ा अकीदतमंदों का रेला, ओलमाओं ने की तकरीर
प्रयागराज (आलोक गुप्ता). आठवें इमाम अली रज़ा के रौज़े का करैली मस्जिद-ए-खदीजा में ओलमाओं की मौजूदगी में शुक्रवार को अकीदतमंदों का रेला उमड़ पड़ा। इमाम अली रज़ा की यौमे विलादत के मौक़े पर खुद्दामे रज़ा इलाहाबाद की ओर से जश्न की महफिल और ओलमाओं की तक़रीर के बाद नव तामीर रौज़े का दोनों दरवाज़ा ज़ियारत के लिए खोल दिया गया।
खुद्दामे इमाम रज़ा कमेटी के मीसम रिज़वी, हसन आमिर रिज़वी, रमीज़ रज़ा रिज़वी ‘राजा’ द्वारा मस्जिद ए खदीजा के प्रांगड़ में बनवाए गए रौज़े की ज़री को खास कारीगरों ने ईरान में बने असली रौज़े की हूबहू नक़्ल कर तामीर कराया। प्रवक्ता सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार रौज़े में दो दरवाज़े बनाए गए हैं, एक से महिलाओं का प्रवेश तो दूसरे से पुरुषों को प्रवेश दिया गया। रौज़े के अंदर भी औरतों और मर्दों के लिए अलग अलग दायरा सीमित किया गया, ताकि किसी की बेपर्दगी न हो। लोग हफ्ते के सातों दिन ज़ियारत कर सकते हैं।
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रौज़े की इफ्तेताह से पहले जश्न की महफिल भी सजाई गई। मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर रिज़वी, मौलाना मोहम्मद अली गौहर, मौलाना अख्तर हसन रिज़वी, मौलाना ज़रग़ाम हैदर, मौलाना नजफ रिज़वी, डा. रिज़वान हैदर रिज़वी आदि ने इमाम ए अली रज़ा के जीवन पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की शुरुआत अशरफ रिज़वी की तिलावत ए कलाम ए पाक से हुई।
शायर अनीस अहमद जायसी के संचालन में शायर अनवार अब्बास, चंदन सांन्याल फैज़ाबादी व सज्जाद हल्लौरी ने इमाम अली रज़ा की शान में कसीदे पढ़े। इफ्तेताह के बाद नज्र भी दी गई। वहीं इमाम अली रज़ा के नाम पर दस्तरख्वान भी सजा, जिसमें लज़ीज़ व्यंजनों में हज़ारों लोगों ने शिरकत करते हुए रोज़ी में बरकत की दुआ की।
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