बाल विवाह समाज के लिए अभिशापः शत्रुघ्न कनौजिया
अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए कार्य़शाला का आयोजन
भदोही (कृष्ण कुमार द्विवेदी). अक्षय तृतीया (22 अप्रैल, 2023) के मौके पर बाल विवाह (Child marriage) पर लगाम लगाने की नीयत से गुरुवार को प्रोबेशन कार्यालय में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें जिला प्रोबेशन अधिकारी शत्रुघ्न कनौजिया के साथ-साथ सभी स्टेकहोल्डर्स ने भाग लिया।
जिला प्रोबेशन अधिकारी/जिला बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी ने बताया कि बाल विवाह अधिनियम 2006 की धाराओं के तहत बाल विवाह पर रोकथाम के लिए बाल विवाह में हिस्सा लेने वाले व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है। विवाह के लिए लड़की की उम्र 18 वर्ष एवं लड़के की उम्र 21 वर्ष अनिवार्य है। यदि इससे कम उम्र की लड़की अथवा लड़के की शादी होती है, तो वह अपराध की श्रेणी में आता है, जिसके लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह दंडनीय अपराध है।
शत्रुघ्न कनौजिया ने बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की किशोरियों का विवाह करने पर दो साल की जेल, एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। ऐसे विवाह में हिस्सा लेने वाले लोगों पर भी कानूनी कार्यवाही की जाती है। पॉक्सो एक्ट में भी इस तरह के विवाह के लिए कार्यवाही का प्रावधान है। बाल विवाह की सूचना बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, 1098 पर भी दे सकते हैं।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष पीसी उपाध्याय व सदस्य पंकज मालवीय ने संयुक्त रूप से कहा, बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है। इससे बालक-बालिकाओं की ग्रोथ प्रभावित होती है। संरक्षण अधिकारी मीना गुप्ता ने कहा कि बाल विवाह बालिकाओं के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। बालिका का शरीर मां बनने के लिए तैयार नहीं होता है और बाल विवाह के कारण जब मां बनती हैं, तो उनका शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
कार्यशाला में महिला कल्याण अधिकारी ममता सिंह, वन स्टॉप सेंटर मैनेजर शिल्पा शुक्ला, प्रियंका गुप्ता, रेशमा भारती, जिला समाज कल्याण अधिकारी ऐश्वर्या राजलक्ष्मी, जिला समन्यवक, बाल संरक्षण इकाई से सामाजिक कार्यकर्ता, आउटरीच कार्यकर्ता मौजूद रहे।