The live ink desk. 297 भारतीय पुरावशेषों को शीघ्र ही भारत लाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका (America) विजिट (विलमिंग्टन, डेलावेयर) के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इन्ही में से कुछ अवशेषों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा।
इन वस्तुओं को चोरी या फिर तस्करी के जरिए देश के बाहर ले जाया गया था। विलमिंग्टन, डेलावेयर में जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता केबाद जो बाइडेन ने पीएम नरेंद्र मोदी को भारतीय पुरावशेषों के वापस किए जाने की जानकारी दी।
विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक आधिकारिक बयान में कहा, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अमेरिका (America) विदेश विभाग के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने और बेहतर सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जुलाई, 2024 में एक सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका लक्ष्य सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए सहयोग बढ़ाना है।
अमेरिका यात्रा के दौरान भारतीय पुरावशेषोंको लौटाए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कलाकृतियों की वापसी में सहयोग के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन का आभार व्यक्त किया है। पीएम ने कहा, ये पुरावशेष न केवल भारत की ऐतिहासिक, भौतिक संस्कृति का हिस्सा थे, बल्कि भारतीय सभ्यता एवं चेतना का आंतरिक आधार भी थे।
ये पुरावशेष वस्तुएं लगभग 4000 वर्ष पुरानी समयावधि अर्थात 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1900 ईसवी तक की हैं और इनका उद्गम भारत के विभिन्न हिस्सों से हुआ है। इनमें से अधिकांश पुरावशेष पूर्वी भारत की टेराकोटा कलाकृतियां हैं, जबकि अन्य वस्तुएं पत्थर, धातु, लकड़ी और हाथी दांत से बनी हैं और देश के विभिन्न भागों से संबंधित हैं।
भगवान कृष्ण की कांस्य मूर्ति भी शामिल
अमेरिका जिन 297 पुरावशेषों को लौटा रहा है, उसमें मध्य भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर की 10-11वीं शताब्दी ईस्वी की अप्सरा की मूर्ति, मध्य भारत से मिली कांस्य की बनी जैन तीर्थंकर की 15-16वीं शताब्दी की प्रतिमा, पूर्वी भारत से प्राप्त तीसरी-चौथी शताब्दी का बना टेराकोटा फूलदान, दक्षिण भारत की पत्थर की मूर्ति (पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईसवी तक की है), दक्षिण भारत से प्राप्त कांस्य के बने भगवान गणेश (17-18वीं शताब्दी ई. के), उत्तर भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की खड़ी प्रतिमा (जो 15-16वीं शताब्दी की है) इसमें शामिल है।
लार्ड विष्णु कीकांस्य प्रतिमा भी आएगी भारत
इसके अलावा पूर्वी भारत से प्राप्त भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा 17-18वीं शताब्दी ई की है, 2000-1800 ईसा पूर्व से संबंधित उत्तर भारत से तांबे में तैयार मानवरूपी आकृति, दक्षिण भारत से प्राप्त भगवान कृष्ण की कांस्य मूर्ति (17-18वीं शताब्दी की प्रतिमा है), दक्षिण भारत से प्राप्त ग्रेनाइट में निर्मित भगवान कार्तिकेय की (13-14वीं शताब्दी की मूर्ति) की प्रतिमा शामिल है। विदेशों से चोरी या तस्करी की वस्तुओं की वापसी का सिलसिला मोदी के सत्ता में आने के बाद से लगातार जारी है।
अमेरिका ने अब तक लौटाए 578 पुरावशेष
बताते चलें कि वर्ष 2016 से अमेरिकी सरकार ने बड़ी संख्या में तस्करी या चोरी की गई प्राचीन वस्तुओं की भारत वापसी की सुविधा प्रदान की है। जून, 2016 में प्रधानमंत्री की अमेरिका विजिट के दौरान 10 पुरावशेष लौटाए थे। वहीं सितंबर, 2021 में उनकी यात्रा के दौरान 157 वस्तुएं और पिछले वर्ष जून में पीएम की यात्रा के दौरान 105 पुरावशेष लौटाए गए। इस प्रकार साल 2016 के बाद अमेरिका से भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक कलाकृतियों की कुल संख्या 578 हो चुकी है। यह किसी भी देश द्वारा भारत को लौटाई गई सांस्कृतिक पुरावशेष की सर्वाधिक संख्या है।
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