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2000 के नोट बंद हुए तो 500 की बढ़ी डिमांड, दूसरे स्थान पर दस रुपये का नोट

The live ink desk. साल 2023 में 19 मई को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। बाजार में पड़े नोट को जमा करवाने के लिए धारकों को मोहलत दी गई थी। बाजार से 2000 रुपये का नोट वापस लिए जाने के बाद से 500 रुपये के नोट का चलन बढ़ गया।

रिजर्व बैंक आफ इंडिया के द्वारा गुरुवार को दी गई जानकारी के मुताबिक साल 2023 की इसी अवधि में 500 रुपये के नोट की बाजार में 77.1 फीसद हिस्सेदारी थी, जो एक साल में बढ़कर 86.5 फीसद हो गई है। मौजूदा समय में बाजार में जितने भीप्रकार के नोट मौजूद हैं, उसमें सर्वाधिक 86.5 फीसद नोट 500 रुपये के हैं।

RBI ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि चलन में मौजूद कुल मुद्रा में 500 रुपये मूल्य के नोट की हिस्सेदारी मार्च, 2024 तक बढ़कर 86.5 फीसदी हो गई, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 77.1 फीसदी थी। RBI ने 500 रुपये के नोट का चलन बढ़ने केपीछे का कारण 2000 रुपये की नोट को वापस लेना बताया है।

भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक सालभर पहले 2000 रुपये की बाजार में कुल हिस्सेदारी 10.8 फीसद थी, जो नोट वापस लिए जाने के बाद महज 0.2 फीसद रह गई। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च, 2024 तक 500 रुपये के सर्वाधिक 5.16 लाख नोट बाजार में मौजूद थे, जबकि 10 रुपये के नोट 2.49 लाख संख्या के साथ दूसरे स्थान पर रहा।

आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक जनता के पास मौजूद 2000 रुपये के कुल 3.56 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोटों में से 97.7 फीसदी 31 मार्च, 2024 तक वापस आ गए थे।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 19 मई, 2023 को देश की सबसे बड़ी 2,000 रुपये की नोट को बंद करने की घोषणा करते हुए इसे चलन से बाहर कर दिया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नोट की मुद्रण (छपाई) पर 5,101 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि सालभर पहले की इसी अवधि में छपाई पर 4,682 करोड़ रुपये खर्च आया था।

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