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खत्म हुए औपनिवेशिक युग के कानून, नये कानून का होगा पालनः ओमप्रकाश

नये कानून को लेकर शंकरगढ़ एसओ ओमप्रकाश ने मातहतों को दी जानकारी, अब आईपीसी की धाराओं की जगह  भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) होगी लागू

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). आज (एक जुलाई, 2024) का दिन भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए ऐतिहासिक है। औपनिवेशिक युग के तीन पुराने कानून समाप्त हो गए हैं और अब नये कानून का राज है। यह बातें एसओ शंकरगढ़ ओमप्रकाश ने कही।

आईपीसी 1860 (IPC) के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता (BNS), दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर प्रभावी भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जानकारी देते हुए एसओ ने कहा, नये कानूनों के लागू होने से अपराधियों को निर्धारित समय में सजा मिलेगी। न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।

एसओ ने बताया कि नये कानून में डिजिटल साक्ष्य में जोर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब साक्ष्य डिजिटली रिकॉर्ड होंगे। सर्च और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य कर दी गई है, जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोष को नहीं फंसाया जा सकेगा। पुलिस द्वारा ऐसी रिकॉर्डिंग के बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी।

एसओ ने बताया कि नये आपराधिक कानूनों में तकनीकों को शामिल किया गया है। दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कंप्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटाप, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल और मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है।

एफआईआर से लेकर केस डायरी, चार्जशीट और जजमेंट तक की प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने का प्रावधान किया गया है। बताया कि अभी तक सिर्फ आरोपी की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो सकती थी, लेकिन अब पूरा ट्रायल, क्रॉस क्वेश्चनिंग समेत वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो सकेगा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। इस मौके पर प्रधान ज्ञानेंद्र मिश्र, पूर्व प्रधान संजीव मिश्र, उमा वर्मा, दिवाकर सिंह, व्यापार मंडल अध्यक्ष अरविंद केसरवानी, नितेश केसरवानी, पंकज गुप्ता, बंटी केसरवानी, प्रांजल गुप्ता के साथ दर्जनों लोग मौजूद रहे।

इन नई धाराओं का किया जाएगा प्रयोग

इस दौरान उन्होंने आईपीसी के स्थान पर आई बीएनएस की नई धाराओं का भी जिक्र किया। प्रमुखतः इस्तेमाल होने वाली धाराओं का उदाहरण देते हुए बताया कि धारा 302 (हत्या) की जगह होगी 103 का प्रयोग किया जाएगा। इसी तरह 307 (हत्या का प्रयास) के स्थान पर 109, 323 (मारपीट) के स्थान पर 115 और 354 (छेड़छाड़) के स्थान पर धारा 74 प्रभावी होगी।

354ए (शारीरिक संपर्क और आगे बढ़ना) के स्थान पर BNS की धारा 76, 354बी (शारीरिक संस्पर्श और अश्लीलता) के लिए धारा 75, 354सी (ताक-झांक करना) के लिए 77, 354डी (पीछा करना) के लिए 78, 363 (नाबालिग का अपहरण) के लिए 139, 376 (रेप) के लिए 64, 392 (लूट) के लिए 309, 420 (धोखाधड़ी) के लिए BNS की धारा 318 इस्तेमाल होगी।

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