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बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में मृत्यु दंड का प्रावधानः तरुण गाबा

पुलिस कमिश्नर ने कहा- पुराने कानून ब्रिटिश राज्य के हित में थे, नया कानून न्याय पर आधारित

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). एक जुलाई, 2024 से प्रभावी हुए तीन नये कानूनों की जागरुकता को लेकर तरुण गाबा ने सिविल लाइंस थाने पर बैठक की। स्थानीय लोगों की मौजूदगी में हुई बैठक में पुलिस कमिश्नर लागू किए गए नये आपराधिक कानूनों (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता तथा भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023) के महत्वपूर्ण बदलावों की जानकारी दी।

पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा ने कहा, नये आपराधिक कानूनों में महिलाओं एवं बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में कठोर दंड (आजीवन कारावास या मृत्युदंड) का प्रावधान किया गया है। चिकित्सकों को बलात्कार पीड़ित की मेडिकल रिपोर्ट सात दिनों के भीतर जांच अधिकारी को भेजने की व्यवस्था बनाई गई है।

पीड़ित महिला का बयान केवल महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट के द्वारा दर्ज किया जाएगा और उसकी अनुपस्थिति में किसी महिला की उपस्थिति में पुरुष न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किए जाने का नियम किया गया है। इसी तरह नये प्रावधानों में पुलिस को 90 दिन के भीतर जांच की प्रगति के बारे में पीड़ित को सूचित करना अनिवार्य है।

पीड़ित की मेडिकल जांच उसकी सहमति से और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर कराने अधिकार प्राप्त करने का नियम बनाया गया है।

पुराने कानून ब्रिटिश राज्य के हितों की रक्षा को ध्यान में रखते हुए दंड पर आधारित थे, जबकि नये कानून न्याय पर आधारित हैं, जो भारतीय न्याय व्यवस्था को और सशक्त बनाता है। नई नियमावली का मुख्य लक्ष्य ऐसी आपराधिक न्याय प्रणाली बनाना है, जो न केवल नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करती है, बल्कि कानूनी व्यवस्था को भी और अधिक मजबूत बनाती है और सभी के लिए सुलभ एवं त्वरित न्याय सुनिश्चित करती है।

तरुण गाबा ने कहा,  नये कानून में नागरिक मौखिक अथवा इलेक्ट्रानिक संचार का उपयोग कर बिना उस क्षेत्र पर विचार किए, जहां अपराध किया गया है, एफआईआर दर्ज कराने एवं बिना देरी के एफआईआर की एक प्रति निशुल्क प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया गया है।

तकनीक को देखते हुए दंड प्रणाली में आडियो, वीडियो एवं इलेक्ट्रानिक साक्ष्य को भी शामिल किया गया है। कानूनी जांच, पूछताछ एवं मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रुप से आयोजित करने का प्रावधान है।

आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और सुलभ बनाया गया है। नागरिको को अभियोजन पक्ष की सहायता के लिए अपना स्वयं का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जागरकता बैठक में पुलिस उपायुक्त नगर, सहायक पुलिस आयुक्त सिविल लाइंस, प्रभारी निरीक्षक समेत स्थानीय लोग मौजूद रहे।

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