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स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति सरकारी कर्मचारी का अधिकारः इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). सरकारी कर्मचारी को 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (सीसीएस रूल्स 1972) का अधिकार है। शर्त सिर्फ इतनी है कि संबंधित कर्मचारी अपने 30 साल के सेवाकाल में कभी निलंबित न हुआ है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय डाक विभाग के कर्मचारी डा. शिवपूजन आर सिंह के मामले सुनवाई करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण, इलाहाबाद (कैट) के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और इसके खिलाफ सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।

न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने कहा, नियम 48 के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का दावा करने वाले कर्मचारी ने अगर 30 वर्ष की सेवा संतोषजनक ढंग से की है और वहसेवाकाल में कभी सस्पेंड नहीं हुआ तो उसे सेवानिवृत्ति का अधिकार है।

16 जुलाई को प्रकरण की सुनवाई करते हुए अदालत ने नियोक्ता के हस्तक्षेप को स्पष्ट करते हुए कहा, नियम 48ए(2) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्वीकृति को आवश्यक बताता है, जबकि नियम 48 में सेवानिवृत्ति के लिए नियोक्ता की अनुमति की जरूरत नहीं है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नियोक्ता का विवेकाधिकार नियम 48ए (जो 20 वर्ष की सेवा से संबंधित है) के तहत उसे विवेकाधिकार है, लेकिन नियम 48 के तहत सेवानिवृत्ति के प्रभावी होने के लिए नियोक्ता की स्वीकृति जरूरी नहीं है। अदालत ने कहा कि, “दोनों प्रावधानों के बीच एक स्पष्ट अंतर है। नियम 48ए(2) नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की स्वीकृति की आवश्यकता को प्रतिपादित करता है, हालांकि नियम 48 में इसका अभाव है”।

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