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पूरा विश्व स्वीकार कर रहा भारत का नेतृत्वः आनंदीबेन पटेल

राजर्षि टंडन मुक्त विवि के 17वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने मेधावियों को प्रदान की उपाधि

प्रयागराज (आलोक गुप्ता). राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Anandiben Patel) ने कहा कि भारत के नेतृत्व को पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। देश के शैक्षिक संस्थान ऐसे छात्रों को तैयार करें, जो भारतीय विशेषता को जी-20 में सहभाग कर रहे देश के प्रतिनिधियों को बताएं। उन्होंने कहा, 2030 तक उच्च शिक्षा में युवाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा जाए। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को खिताब कर रही थीं।

राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह का आयोजन सरस्वती परिसर में स्थित अटल प्रेक्षागृह में किया गया था। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा, युवाओं को संवेदनशीलता, देशभक्ति, पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण के साथ ही अपने दायित्वों का निर्वाह करना चाहिए। शिक्षा का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। अतः इसकी समग्रता को समझते हुए प्राथमिक व माध्यमिक स्तर के विद्यालयों के प्रधानाचार्य को विश्वविद्यालय में बुलाकर उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चर्चा की जाए, जिससे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।

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राज्यपाल ने दिव्यांगों एवं किन्नरों की उच्च शिक्षा के लिए भी समाज में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा विद्यालयों में 12वीं तक की शिक्षा सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है। राज्यपाल ने रजत जयंती वर्ष में  दीक्षांत समारोह आयोजित करने एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई दी। उपाधि प्राप्त करने वाले बच्चों को संदेश दिया कि भारत की युवा पीढ़ी को हमारी भव्य आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विरासत का मनोयोग पूर्वक अध्ययन करना चाहिए।

कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने स्वागत भाषण एवं प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। कहा, विश्वविद्यालय अपनी शैक्षिक उपलब्धियों के साथ ही अपनी संरचना के विकास की ओर भी तीव्रता से गतिमान है। विश्वविद्यालय के बहुआयामी विकास एवं समाज के उपेक्षित वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विश्वविद्यालय सदैव तत्पर रहता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का महिला अध्ययन केंद्र गांव में जागरूकता शिविर लगाकर ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रयत्नशील है। सामाजिक सरोकार से संबंधित कार्यों तथा अपने दायित्व को भी विश्वविद्यालय पूर्ण मनोयोग से पूर्ण कर रहा है।

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